भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा ने शुक्रवार को कहा कि अंतरिक्ष यात्रियों को राष्ट्रों को विभाजित करने वाली सीमाएं धुंधली नजर आती है और उन्हें पूरी पृथ्वी केवल एक इकाई के तौर पर दिखती है। ‘वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण सम्मेलन’ में एक संवाद सत्र में शर्मा ने कहा किचंद्रमा पर गए अंतरिक्ष यात्रियों ने यह भी बताया कि पहले और अंतिम मिशनों की तुलना में अब पृथ्वी अधिक ग्रे और कम नीली दिखाई दे रही है।शर्मा अंतरिक्ष यात्री हज्जा अल मंसूरी (यूएई), अल्पर गेजेरावसी (तुर्की), माइकल लोपेज-एलेग्रिया (यूएस), भारतीय अंतरिक्ष यात्री (नामित) अंगद प्रताप, एयतन स्टिब्बे (इज़राइल), गोपीचंद थोटाकुरा और सिरिशा बंदला के साथ एक संवाद सत्र में भाग ले रहे थे।
वर्ष 1984 में रूसी अभियान के तहत अंतरिक्ष की यात्रा करने वाले शर्मा ने कहा, ‘‘मजेदार बात यह है कि पहले दिन आप अपने देश को देख रहे होते हैं। फिर आप पाते हैं कि कोई सीमा नहीं है। इससे आपको पृथ्वी को एक इकाई के रूप में देखने में मदद मिलती है। फिर आप उस गिरावट को देखना शुरू करते हैं जो हो रही है और यह आपको पर्यावरण क्षरण की संभावना के प्रति जागरूक करती है।’’अंतरिक्ष से पृथ्वी को देखने के अपने अनुभव को साझा करते हुए उन्होंने म्यांमार में जंगल की आग को याद किया जिसके चलते पड़ोसी देशों में धुएं के गुबार फैल रहे थे। उन्होंने कहा, ‘‘इससे हमें पता चलता है कि प्रदूषण वास्तव में सीमाओं को नहीं देखता।इसलिए, यह सुनिश्चित करना सभी के हित में है कि जिस पर्यावरण का हम आनंद ले रहे हैं, उसे संरक्षित किया जाना चाहिए।’’