कैंसर मरीजों के लिए वरदान : सीएआर टी-सेल थेरेपी से एचसीजी कैंसर सेंटर, जयपुर में हुआ सफल इलाज़

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जयपुर। कैंसर एक गंभीर बीमारी है। भारत में हर साल ब्लड, लंग, प्रोस्टेट, ब्रेस्ट और सर्वाइकल कैंसर के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। हाल के वर्षों में, कैंसर उपचार में कई नई तकनीकों का विकास हुआ है। इसी दिशा में भारत की पहली जीन-आधारित सीएआर टी-सेल थेरेपी ब्लड, लिंफोमा कैंसर मरीजों में उम्मीद की एक नई किरण बनकर उभरी है। यह तकनीक न केवल प्रभावी है, बल्कि इसे किफायती और सुलभ भी बनाया गया है, जिससे आम मरीजों को भी लाभ मिल सके।

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एचसीजी कैंसर सेंटर के ऑन्कोलॉजी विभाग के विशेषज्ञों ने इस उन्नत थेरेपी पर विस्तार से चर्चा की। विशेषज्ञों के अनुसार, सीएआर टी-सेल थेरेपी कैंसर के इलाज में एक क्रांतिकारी कदम है, जो रोगी के इम्यून सिस्टम को बदल कर कैंसर से लड़ने की क्षमता को पुनः पैदा करता है।

क्या है सीएआर टी-सेल थेरेपी

यह थेरेपी मरीज की ही टी-कोशिकाओं (T-cells) को जीन एडिटिंग तकनीक के जरिए कैंसर से लड़ने में सक्षम बनाती है। इसके बाद इन्हें वापस मरीज के शरीर में डाला जाता है, जहां वे कैंसर कोशिकाओं को पहचानकर नष्ट करने का कार्य करती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह तकनीक कैंसर उपचार के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ रही है।

कैंसर में बेहद कारगर है ये थेरेपी

एचसीजी कैंसर सेंटर जयपुर में डायरेक्टर ऑन्कोलॉजी डॉ. नरेश सोमानी व डॉ अभिषेक चारण मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट ने बताया कि, सीएआर टी-सेल थेरेपी कैंसर मरीजों के इलाज में काफी प्रभावी साबित हो रही है. हाल में इस उन्नत तकनीक से एक मरीज को जीवन दान मिला है। उन्होंने बताया कि मरीज नीरज (बदला हुआ नाम), जिसकी आयु 63 साल है, बीते सालों से बी सेल लिंफोमा से ग्रसित था। उसने अपना इलाज बाहर से लिया लेकिन 6 माह के पश्चात ही उसे फिर से बीमारी ने घेर लिया। उसके बाद वह एचसीजी कैंसर सेंटर जयपुर में डॉ अभिषेक चारण मेडिकल ऑन्कोलॉजिस्ट को दिखाया और उसकी जांचों में मरीज को स्टेज फोर का लिंफोमा पाया गया। इसके बाद सीएआर टी-सेल थेरेपी से मरीज का इलाज किया गया। पूर्ण इलाज के बाद जब मरीज की एक बार पुनः पेट सिटी की जाँच की गयी तो पेट सिटी के मुताबिक पेशेंट पूरी तरह से स्वस्थ है और अपनी सामान्य जीवन जी जा रहा है।

इस तरह काम करती है थेरेपी

डॉ.नरेश सोमानी बताते हैं कि इस थेरेपी में मरीज के खून से टी कोशिकाओं को लिया जाता है और फिर एक-रिसेप्टर की मदद से जीन को प्रयोगशाला में टी कोशिकाओं से संयोजित किया जाता है जो रोगी के कैंसर कोशिकाओं पर एक निश्चित प्रोटीन को लक्षित करता है। इस विशेष रिसेप्टर को काइमेरिक एंटीजन रिसेप्टर कहा जाता है। इसमें काफी ज्यादा संख्या में सीएआर टी सेल्स को प्रयोगशाला में संशोधित करके फिर से रोगी में इन्फ्यूज किया जाता है. ये थेरेपी कैंसर से लड़ने के लिए रोगी के इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है। यह थेरेपी विश्व की एक नवीनतम तकनीक है जिससे ब्लड और लिंफोमा कैंसर को आसानी से जीता जा सकता है यह सुविधा विश्व की कुछ गिनी चुनी जगहों पर ही उपलब्ध है |

संस्थान के सीओओ डॉ.भरत राजपुरोहित ने बताया कि, देश के शीर्ष कैंसर उपचार अस्पतालों में से एक एचसीजी कैंसर सेंटर, राजस्थान का वृहद कैंसर चिकित्सा केंद्र है, जहां एक ही छत के नीचे उन्नत व नवीनतम तकनीकों के साथ-साथ ही चिकित्सा विशेषज्ञों की कुशल और पेशेवर टीम भी मौजूद है, जो कैंसर के रोगियों की सही देखभाल व सटीक उपचार को पुख्ता करती है। एचसीजी कैंसर हॉस्पिटल चेन का हिस्सा है, जिसके देशभर में 24 से अधिक अस्पताल हैं, जहां अत्याधुनिक तकनीक, कुशल ऑन्कोलॉजिस्टों के एक विशाल नेटवर्क और नए युग के उपचार प्रोटोकॉल के माध्यम से रोगियों को सही एवं सटीक उपचार प्रदान किया जाता है। इस केंद्र पर बोन मेरो ट्रांसप्लांट की सुविधा भी उपलब्ध है |

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