बारां। पुस्तकालय अध्यक्ष रामेश्वर प्रसाद मीणा ने बताया कि ‘पुस्तकें महती प्रतिभाओं के द्वारा मानव जाति के लिए छोड़ी गई पैतृक संपत्ति हैं जो पीढ़ी दर पीढ़ी को सौंपी जाने के लिये है। मानों वे अजन्में व्यक्तियों के लिये दिये गये ज्ञान का उपहार है।’ ये विचार विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर राजकीय सार्वजनिक जिला पुस्तकालय में आयोजित पुस्तक प्रदर्शनी का शुभारंभ करते हुए वरिष्ठ व्याख्याता आलोक दाधीच ने व्यक्त किए। मां सरस्वती के चित्र पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलन कर प्रदर्शनी का शुभारंभ किया गया । विशिष्ट अतिथि व्याख्याता मनोज कुमार जैन, पुस्तकालयाध्यक्ष जगदीश प्रसाद मीणा, वरिष्ठ पाठक बजरंग लाल यादव का पुस्तकालयाध्यक्ष मीणा, वरिष्ठ सहायक रामेश्वर प्रसाद शर्मा, परामर्शदाता हरीश नागर व सहायक राजेंद्र गहलोत ने पुष्य हार पहनाकर स्वागत किया।
इस अवसर पर सेवानिवृत्त पुस्तकालय अध्यक्ष चंद्रमोहन चोरासिया, डॉ. मधुकांत दुबे, लोकेश कुमार सुमन ने कहा कि पुस्तकालय व्यक्ति के ज्ञान का तीसरा नेत्र खोलना है। पाठकों को अप्राप्य, अलभ्य और अप्रकाशित पुस्तकों के दर्शन करवाता है। जिज्ञासुओं की जिज्ञासा शांत करता है। पुस्तकालय जनता की संपत्ति होती है। लेखकों की धरोहर हैं। पाठक उसका ट्रस्टी (न्यासी) है।
महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय बारां की प्रधानाचार्य प्रतिभा गुप्ता ने एक कदम पुस्तकालय की ओर अभियान शुरू करने पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि पुस्तकालय विचारों के भव्य मंदिर होते है विद्वानों के आनंद प्रदाता है। समाज के जिम्मेदार व्यक्तियों, युवाओं, युवतियों को अपने दैनिक जीवन में स्वाध्याय का समय निकालकर अध्ययन करना चाहिए।
कार्यक्रम संयोजक रामेश्वर प्रसाद शर्मा ने बताया कि वर्ष 25-26 में 108 वार्षिक सदस्य बन चुके है। 65 से 70 युवक-युवतियां प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए प्रतिदिन वाचनालय में बैठकर अध्ययन करते है। इस अभियान के माध्यम से एक सौ लोगों को आजीवन सदस्य बनाने के लिए संपर्क किया जाएगा। विकास समिति के वरिष्ठ सदस्य ओम प्रकाश शर्मा को संयोजक एवं हरीश नागर को सहसंयोजक बनाया गया है।
पुस्तक प्रदर्शनी का हुआ शुभारंभ
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