खंड चिकित्सा अधिकारी तिजारा पांच दिन से लापता, ग्रामीणों ने भ्रष्टाचार की खोली पोल

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तिजारा। तिजारा के खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी (बीसीएमओ) डॉ. मनोज यादव पिछले पांच दिनों से बिना किसी सूचना के कार्यस्थल से अनुपस्थित हैं। इस बात का खुलासा उस समय हुआ जब प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान और राइज ट्रेनिंग की निगरानी के लिए जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हेमंत डागर अचानक तिजारा पहुंचे।डॉ. डागर ने बताया कि वह बीते पांच दिनों से डॉ. यादव को लगातार फोन कर रहे थे, लेकिन जवाब नहीं मिला। जब वे तिजारा के स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, तो वहां बीपीएम महेन्द्र मौजूद थे। उन्होंने भी बीसीएमओ के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की।हालात तब और गंभीर हो गए जब स्वास्थ्य केंद्र से लौटते वक्त कुछ ग्रामीणों और निजी वाहन संचालकों ने डॉ. डागर को घेर लिया और मौके पर ही कई गंभीर शिकायतें सौंपीं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (RBSK) के तहत चलने वाले वाहनों के संचालन में भारी भ्रष्टाचार किया जा रहा है।

बिना किसी वैध निविदा प्रक्रिया के, मनमाने ढंग से कुछ चेहतों को वाहन संचालन का काम सौंपा गया है और तीन वर्षों से फर्जी बिलों के माध्यम से करीब एक लाख रुपये प्रतिमाह की हेराफेरी की जा रही है।ग्रामीणों का आरोप है कि इस पूरे गबन में बीसीएमओ के साथ खैरथल के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की भी मिलीभगत रही है। उन्होंने यह भी बताया कि पूर्व में इस मामले की शिकायत की गई थी, लेकिन ऊपरी अधिकारियों की “कृपा” से जांच के नाम पर लीपापोती कर दी गई। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि बीते तीन वर्षों की एंट्रियां नर्सिंग कर्मचारियों और एएनएम से जबरन करवाई गई हैं, जिससे भ्रष्टाचार को वैध रूप देने का प्रयास किया गया।इसके अलावा, स्कूलों में बच्चों की स्वास्थ्य जांच के नाम पर भी बजट में भारी घोटाला किए जाने की बात सामने आई है। ग्रामीणों का कहना है कि गरीब बच्चों की सेहत के नाम पर सरकार से आने वाला बजट हजम कर लिया गया है।गंभीर आरोपों और आक्रोश के बीच डॉ. डागर ने ग्रामीणों को यह आश्वासन दिया कि वे पूरे मामले की जानकारी उच्चाधिकारियों को देंगे और आवश्यक कार्रवाई के लिए संस्तुति करेंगे।

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