बिहार चुनाव : लालू के घोटाले ने बेटे तेजस्वी की राह में बिखेरे कांटे

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दिल्ली की एक अदालत द्वारा लालू यादव परिवार पर नौकरी के बदले जमीन सम्बन्धी एक बहुचर्चित मामले में धोखाधड़ी, भ्रष्टाचार समेत अन्य धाराओं के तहत आरोप तय करने से बिहार विधान सभा चुनाव से पहले ही महागठबंधन पर संकटों के बादल छा गए है। बिहार विधानसभा के चुनावों पर इसका कितना असर होगा, यह देखने वाली बात है। कभी देश के प्रधानमंत्री पद के लिए अहम् भूमिका निभाने वाले बिहार के कद्दावर नेता लालू यादव की अब एक ही इच्छा है कि उसके जीवनकाल में छोटा बेटा तेजस्वी बिहार की गद्दी पर आसीन हो। मगर उनकी लाख चेष्टा के बावजूद कहीं न कहीं उनके कार्यकाल के घोटाले और सियासी पैबंध उनकी राह में कांटे बिखेर ही देता है। चुनावी माहौल में लालू यादव के परिवार की मुश्किलें कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। बिहार में एकाएक ही सियासत गरमा गई है। बिहार विधान सभा का चुनाव लालू परिवार के लिए काफी मुश्किलों भरा हो गया है। आनन फानन में भाजपा सहित लालू विरोधी पार्टियों ने लालू पर तंज कसने शुरू कर दिए। बिहार के दो प्रमुख चुनावी मोर्चे महागठबंधन और एनडीए ने सत्ता पर काबिज होने के लिए किलेबंदी शुरू कर दी है। लालू ने अपने बेटे तेजस्वी को बिहार का मुख्यमंत्री बनाने की सार्वजनिक घोषणा कर रखी है। बिहार में येन केन प्रकारेण सत्ता हासिल करने के लिए लालू यादव की छटपटाहट बस देखते ही बनती है। राजद अध्यक्ष लालू यादव अब बूढ़े हो चुके है और चाहते है उनकी विरासत के साथ बिहार की राजगद्दी बेटे तेजस्वी को मिले। नए घटनाक्रम ने आरजेडी की चुनावी संभावनाओं को पलीता लगा दिया है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक आईआरसीटी घोटाले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने आरजेडी सुप्रीमों लालू यादव, पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और बिहार के पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया है। दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट ने तीनों नेताओं के खिलाफ अपने आदेश में कड़े शब्दों का प्रयोग किया और भारतीय रेलवे खानपान एवं पर्यटन निगम में कथित अनियमितताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में आरोप तय करने का आदेश सुनाया है। अदालत ने धारा 120B और 420 के तहत आरोप तय कर दिए हैं। न्यायालय ने साजिश, पद के दुरुपयोग और टेंडर प्रक्रिया में छेड़छाड़ की बात कही और यह भी जोड़ा कि सब कुछ लालू यादव की जानकारी में हुआ। सुनवाई के दौरान CBI ने सबूतों की एक पूरी श्रृंखला पेश की । अदालत ने कहा कि लालू यादव ने टेंडर प्रक्रिया में दखल दिया था । टेंडर प्रक्रिया में बड़ा बदलाव कराया था।
बिहार में विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान हो गया है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी और उनके बेटे तेजस्वी यादव की चुनावी मुश्किलें बढ़ गई हैं। CBI केस के मुताबिक लालू प्रसाद यादव के रेल मंत्री रहने के दौरान (2004-2009 के बीच) बिहार के लोगो को मुंबई, जबलपुर, कलकत्ता, जयपुर, हाजीपुर में ग्रुप डी पोस्ट के लिए नौकरी दी गई। इसके एवज में नौकरी पाने वाले लोगों ने लालू प्रसाद के परिजनों/परिजनों के स्वामित्व वाली कंपनी के नाम अपनी जमीन ट्रांसफर की।
लालू परिवार ने पूर्व की तरह फिर खुद के पाक साफ़ होने का दावा किया है। मगर उनके विरोधियों का कहना है इसे कहते है चोरी और सीनाजोरी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने 1974 में भ्रष्टाचार के खिलाफ बिहार में सिंहनाद किया था। लालू ने जेपी के एक सेनानी के रूप में इस आंदोलन में अपनी सक्रीय भागीदारी दी थी और आज भ्रष्टाचार रूपी इसी अज़गर ने लालू और उनके परिवार को निगल लिया है। जेपी के आंदोलन से निकले लालू यादव को बहुचर्चित चारा घोटाले के पांच मामले में हुई सजा ने भ्रष्टाचार के इतिहास में एक नई इबारत लिख दी। राजद सुप्रीमो लालू यादव को चारा घोटाले से जुड़े पांच मामलों कुल साढ़े 32 साल की सजा सुनाई जा चुकी है। वे फिलहाल जमानत पर है। लालू की चार्जशीट पूर्व प्रधानमंत्री देवगौड़ा के समय हुई थी तो पहली सजा मनमोहन सिंह की सरकार के समय हुई। फिर भी फंसा दिए जाने का राग अलापा जा रहा है।
गौरतलब बिहार का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार चारा घोटाला था जिसमें पशुओं को खिलाये जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये सरकारी खजाने से फर्जीवाड़ा करके निकाल लिये गये। केंद्र सरकार गरीब आदिवासियों को अपनी योजना के तहत गाय, भैंस, मुर्गी और बकरी पालन के लिए आर्थिक मदद मुहैया करा रही थी। इस दौरान मवेशी के चारे के लिए भी पैसे आते थे। लेकिन गरीबों के गुजर-बसर और पशुपालन में मदद के लिए केंद्र सरकार की तरफ से आए पैसे का गबन कर लिया गया था। 1996 में चारा घोटाले का मामला बाहर निकला । लालू के मुख्यमंत्री रहते ही चारा घोटाला सामने आया। आश्चर्य इस बात का है जन धन पर डाका डालने वालों को अपने किये पर कोई पछतावा नहीं है। अब एक बार फिर केंद्रीय जाँच दलों की राडार पर लालू परिवार का भ्रष्टाचार है जिसमें जेल जाने की तलवार लटकी हुई है।

-बाल मुकुन्द ओझा

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