भरतपुर। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ, उच्च शिक्षा, राजस्थान की स्थानीय इकाई द्वारा गुरुवार को महारानी जया राजकीय महाविद्यालय, भरतपुर में गुरु वंदन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य गुरु-शिष्य संबंधों की महत्ता को रेखांकित करना और वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में शिक्षकों की भूमिका को और अधिक जागरूकता के साथ प्रस्तुत करना था। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में भरतपुर विभाग प्रचारक उत्कर्ष ने उपस्थित शिक्षकों व विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि गुरु जब तक शिष्य की आत्मा को स्पर्श नहीं करता, तब तक शिष्य के मन में आस्था और विश्वास का संचार नहीं होता। उन्होंने कहा कि आज की दिग्भ्रांत युवा पीढ़ी को दिशा देने में शिक्षक की भूमिका और अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है।उन्होंने कहा कि शिक्षक को केवल विषय ज्ञान तक सीमित नहीं रहकर समाज के निर्माणकर्ता के रूप में अपने गुरुत्व को महसूस करना चाहिए। उन्होंने भारत की पारंपरिक शिक्षा व्यवस्था का उल्लेख करते हुए बताया कि स्वतंत्रता से पहले भारत में 90त्न साक्षरता थी, और शिक्षा हर जाति, वर्ग तक पहुँची हुई थी। डॉ. धर्मपाल की प्रसिद्ध पुस्तक ‘स्वर्णिम वृक्ष शिक्षाÓ का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि अंग्रेजों द्वारा प्रस्तुत आंकड़े इस बात की पुष्टि करते हैं कि प्राचीन भारत की शिक्षा प्रणाली समावेशी थी। लेकिन बाद में हमें यह भ्रमित किया गया कि शिक्षा कुछ वर्गों तक ही सीमित थी।कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के विभाग संचालक भागीरथ ने गुरु-शिष्य परंपरा पर विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि शिष्य के निर्माण में गुरु की भूमिका आधारशिला जैसी होती है। उन्होंने कहा कि जब गुरु अपने आचरण, विचार व कर्म से मार्गदर्शन करता है, तभी शिष्य के व्यक्तित्व का संपूर्ण विकास संभव होता है।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं कॉलेज की प्राचार्य प्रो. डॉ. अंजू तंवर ने कहा कि शिक्षक केवल शिक्षा देने वाला नहीं, बल्कि समाज का प्रेरक होता है। उन्होंने शिक्षकों से अपने दायित्वों को निष्ठा व समर्पण से निभाने का आह्वान किया।प्रो. डॉ. योगेंद्र कुमार भानु ने विषय प्रवर्तन करते हुए गुरु-शिष्य परंपरा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उसकी वर्तमान प्रासंगिकता को रेखांकित किया।जिला अध्यक्ष प्रो. डॉ. आर.के. उपाध्याय ने अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ का परिचय देते हुए बताया कि संगठन शिक्षकों के शैक्षणिक, नैतिक एवं सामाजिक दायित्वों को समर्पित है। जिला सचिव डॉ. राजेश सिंह ने मुख्य अतिथि व विशिष्ट अतिथि का स्वागत किया और उनका परिचय प्रस्तुत किया।

भरतपुर: गुरु जब शिष्य की आत्मा को स्पर्श करता है, तभी उपजता है विश्वास : उत्कर्ष
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