जयपुर। राज्यपाल एवं कुलाधिपति हरिभाऊ बागडे ने कहा कि ज्ञान का परिदृश्य पूरे विश्व में तेजी से परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है, वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान के चलते विश्वभर में कुशल कामगारों की जरूरत और मांग बढेगी। युवाओं को तार्किक एवं रचनात्मक रूप से सोचते हुए विविध विषयों के बीच अर्न्तसंबंधों और बदलती परिस्थितियों के अनुसार स्वयं को तैयार करना होगा।राज्यपाल बागडे मंगलवार को भरतपुर जिले के बीडीए ऑडिटोरियम में महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय के पंचम दीक्षान्त समारोह में सम्बोधित कर रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों में बौद्धिक क्षमता के आंकलन की सुव्यवस्थित पद्धति होनी चाहिए जिससे युवाओं के कौशल एवं ज्ञान का पारदर्शिता से आंकलन हो सके। उन्होंने कहा कि शिक्षा एक बीज की भांति है जो निरंतर जीवन को निखारने का कार्य करती है। जिस प्रकार बीज एक पेड़ बनकर समाज को ऑक्सीजन, फल, फूल, छाया, ईंधन आदि देने का कार्य करता है उसी प्रकार शिक्षा प्राप्त करने वाले को भी अपनी ज्ञान का उपयोग समाज की प्रगति में करना चाहिये। शिक्षा का उद्देश्य जीविकोपार्जन तक सीमित नहीं रहना चाहिए बल्कि इसका उपयोग समाज को दिशा देने एवं उत्थान के लिए होना चाहिए।उन्होंने कहा कि हमारी संस्कृति एवं पुरातन शिक्षा पद्धति विश्वभर में अग्रणी रही है, उच्च शिक्षा के लिए गुरूकुल परम्परा शोध, अनुसंधान के साथ जीवन के सर्वांगीण विकास का आधार होती थी।
भरतपुर: महाराजा सूरजमल बृज विश्वविद्यालय का पंचम दीक्षान्त समारोह आयोजित— विश्वविद्यालय वैज्ञानिक और तकनीकी अनुसंधान द्वारा युवाओं में तार्किक एवं रचनात्मक क्षमता विकसित करें – राज्यपाल
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