ब्यावर। श्री सीमेंट लिमिटेड, रास की आवासीय कॉलोनी परिसर में आयोजित वार्षिकोत्सव के अंतर्गत चल रही श्री भक्तमाल कथा के दूसरे दिन, सोमवार को श्री रामानुजाचार्य जी के जीवन प्रसंगों पर वृन्दावन से पधारे पूज्य स्वामी श्री पुण्डरीकाक्षाचार्य वेदान्ती जी महाराज ने वर्णन किया। महाराज श्री ने अपने प्रवचन में कहा कि भक्ति का मार्ग जीवन को सहज, सुंदर और आनंदमय बना देता है। भक्ति का अर्थ पूजा-पाठ या कीर्तन-भजन नहीं बल्कि ध्यान करना या ईश्वर की प्रार्थना करना है। इसी गहन भक्ति के तहत संत रामानुजाचार्य को मां सरस्वती के दर्शन भी प्राप्त हुए थे। कथा में श्रृद्धालुओं ने अत्यंत उत्साहपूर्वक श्री रामानुजाचार्य जी के जीवन दर्शन का श्रवण किया। संगीतमय भजनों एंव कथा के मधुर मिश्रण से पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा। महाराज श्री ने अपने प्रवचन में महान भक्तों के जीवन से जुड़े कुछ हास्य प्रसंग भी सुनाए। सोमवार प्रात: महाराज श्री ने बांगड़ पब्लिक स्कूल के विद्यार्थियों को संबोधित किया। उन्होनें बच्चों को मानव जीवन के नैतिक मूल्यों, सदाचार, प्रकृति एवं मातृभूमि की रक्षा जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर मार्गदर्शन प्रदान किया। विद्यार्थियों ने जिज्ञासापूर्वक प्रश्न किये। पूरा सत्र अत्यंत प्रेरणादायी रहा, जिसे विद्यार्थियों ने गंभीरता से सुना और सद्गुणी विद्यार्थी बनने का संकल्प लिया। महोत्सव के तीसरे दिन, मंगलवार को मंदिर में प्रात: आचार्य श्री लक्ष्मीनारायण शास्त्री जी (पुष्कर वाले) के सानिध्य में मंत्रोच्र्चा पूर्वक देव पूजन किया गया, जिसमें कंपनी के चीफ मैन्यूफैक्चरिंग ऑफिसर-श्री सतीष माहेश्वरी एवं हैड (कॉस्टिंग)-श्री रामनारायण डाणी ने सपत्निक पूजा-अर्चना कर प्रथमपूज्य गजानन से सर्वमंगल कामना की। तदोपरांत नाना विविद स्त्रोत पाठ प्रारंभ किया गया। दोपहर में कथा के समापन सत्र में श्री वेदंाती जी महाराज ने अपने प्रवचन में कई महान संतों एवं भक्तों के जीवन-चरित्र एवं प्रसंगों का संगीतबद्ध चित्रण कर श्री भक्तमाल कथा को विश्राम दिया। उन्होनें कहा कि मनुष्य को सांसारिक मोह-माया से ऊपर उठकर भगवान की भक्ति करनी चाहिए। सत्य, प्रेम, करुणा और सेवा भाव जीवन के मूल तत्व हैं। विपरीत परिस्थितियों में भी ईश्वर-स्मरण से आत्मबल मिलता है। केवल नाम-स्मरण, सत्संग और भक्ति ही कलियुग में मोक्ष व शाश्वत शांति का मार्ग हैं। संध्या में सांय 07:15 बजे गणराज की भव्य आरती कर प्रसाद वितरण किया गया। बुधवार, दिनांक 27 अगस्त, गणेष चतुर्थी पर श्री गणपतिजी का महाभिषेक एवं श्रृंगार के साथ 1008 मोदक अर्चना एवं 56 भोग चढ़ाकर महाआरती का आयोजन किया जाएगा। अपरान्ह 05:30 बजे से शोभा यात्रा का आयोजन कर आरती की जाएगी एवं् अन्नकूट वितरण का कार्यक्रम रखा जाएगा।

ब्यावर : भक्ति का मार्ग जीवन को सहज, सुंदर और आनंदमय बना देता है-स्वामी पुण्डरीकाक्षाचार्य, श्री सीमेंट-रास में गणेशोत्सव जारी, श्री भक्तमाल कथा का समापन
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