राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़े के दौरान जागरूकता कार्यशाला आयोजित

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-ए.एन.एम. प्रशिक्षणार्थियों को समझाई नेत्रदान की बारीकियां

-चिकित्सा विभाग एवं आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान की संयुक्त गतिविधि

पाली। आमजन को नेत्रदान के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से सम्पूर्ण देश में हर वर्ष 25 अगस्त से 08 सितम्बर के दौरान आयोजित किये जा वाले ’’ राष्ट्रीय नेत्रदान पखवाड़ा ’’ कार्यक्रम के अंतर्गत चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग तथा आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान,पाली चौप्टर के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को प्रातः 11.30 बजे राजकीय बांगड़ चिकित्सालय स्थित ए.एन.एम. प्रशिक्षण केन्द्र,पाली के सभागार में एक जागरूकता कार्यशाला का आयोजन किया गया।
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. विकास मारवाल ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधीन संचालित राष्ट्रीय अंधता निवारण कार्यक्रम के अंतर्गत स्वयंसेवी संगठन आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान,पाली चौप्टर के सहयोग से ए.एन.एम. प्रशिक्षण प्राप्त कर रही प्रशिक्षणार्थियों के लियेे मंगलवार को आयोजित कार्यशाला के दौरान नेत्रदान के बारे में सम्पूर्ण प्रक्रिया की जानकारी विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रदान की गई है,ताकि वे अपने अपने क्षेत्र में आमजन को इस बारे में जागरूक कर सकें तथा नेत्रदान के महत्व के बारे में आमजन को पर्याप्त एवं सटीक जानकारी प्रदान कर सकें।
मंगलवार को जागरूकता कार्यशाला में चिकित्सा विभाग के पूर्व निदेशक डॉ. आर.के. गर्ग ने जानकारी प्रदान करते हुये बताया कि नेत्रदान को सभी धर्मों में मान्यता प्रदान की गई है, नेत्रदान मृत्यु के उपरांत ही सम्भव है, एक व्यक्ति द्वारा नेत्रदान करने से दो नेत्रहीनों को ऑंखों की रोशनी मिल सकती है। नेत्रदान किसी भी आयु, लिंग का व्यक्ति कर सकता है, उसका चाहे कोई भी रक्त समूह हो।
कार्यशाला में अपने विचार रखते हुये राजकीय बांगड़ चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. आर.के. बिश्नोई ने प्रशिक्षणार्थियों से कहा कि वे नेत्रदान हेतु लोगों को प्रेरित करें । नेत्रदान के बारे में उन्होंनें बताया कि जिनका मोतियाबिन्द का ऑपरेशन हुआ है,वे भी नेत्रदान कर सकते हैं, जो लेाग नजर का चश्मा लगाते हैं,वे भी नेत्रदान कर सकते हैं, जिनको मधुमेह, उच्च रक्त.चाप, सांस की बीमारी है, वो लोग भी आसानी से मृत्योपरांत नेत्रदान कर सकते हैं। जिन लोगों ने नेत्रदान हेतु घोषणा नहीं की है, उनके परिवार के लोगों की सहमति के आधार पर भी नेत्रदान करवाया जा सकता है।
इस दौरान एएनएम प्रशिक्षण केन्द्र के प्रधानाचार्य के. सी. सैनी ने बताया कि नेत्रदान की प्रक्रिया मृत्यु के छः से आठ घंटे के मध्य पूर्ण होनी अनिवार्य है, नेत्रदान हेतु शव को कहीं लेकर जाने की आवश्यकता नहीं है, इस हेतु आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के लोग मृतक के घर जाकर नेत्रदान की प्रक्रिया पूर्ण करते हैं, नेत्रदान में शव की पूरी ऑंख नहीं निकाली जाती है, बल्कि सिर्फ आंख के ऊपर की झिल्ली,जिसे कोर्निया कहते हैं, ही निकाली जाती है,जिससे शव में किसी प्रकार की विकृति नहंी होती है।
आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान ,पाली चौप्टर के अध्यक्ष हुकमी चंद मेहता ने संस्था के बारे में पूर्ण जानकारी प्रदान की तथा नेत्रदान के बारे में बताया कि नेत्रदान की सम्पूर्ण प्रक्रिया में सिर्फ 20 मिनट का ही समय लगता है, नेत्रदान करने वाले परिवार के लोगों को चाहिये कि नेत्रदान नहीं होने तक शव की ऑंखों ने गीली पट्टी लगा कर रखें, शव के उपर पंखा बन्द कर दें ताकि शव का कोर्निया खराब ना हो सके। नेत्रदान के बारे में सूचना देने हेतु बांगड़ चिकित्सालय परिसर में संचालित संचेती धर्मशाला में आई बैंक सोसायटी ऑफ राजस्थान के कार्यालय में तुरन्त सूचना करें। इस हेतु फोन नम्बर 9252066000 या 941412335 पर भी सूचना दी जा सकती है।
कार्यक्रम के दौरान केन्द्र के प्रशिक्षक मदनगोपाल वैष्णव, दिनेश कुमार, महेन्द्र कुमार, आई बैंक सोसायटी के नेत्रदान तकनीशिन मुकेश चारण , ज्योति मित्र हड़मतसिंह, जितेन्द्रसिंह, चन्द्रजीत एवं जहुरूद्दीन सहित लगभग 80 ए.एन.एम. प्रशिक्षणार्थी उपस्थित रहे। कार्यशाला के अंत में केन्द्र के प्रधानाचार्य के.सी. सैनी ने सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया।

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