अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन यूरोप, एशिया और अमेरिका के बीच आई दरारों को खत्म करने के लिए काम कर रहे हैं। यह बात विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने नाटो शिखर सम्मेलन से इतर कहा। बता दें, इस सम्मेलन में अमेरिका के हिंद-प्रशांत साझेदारों- ऑस्ट्रेलिया, जापान, दक्षिण कोरिया और न्यूजीलैंड को भी भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है।
तीसरी बार किया आमंत्रित
वास्तव में, यह लगातार तीसरी बार है, जब अमेरिका ने अपने हिंद-प्रशांत भागरीदारों को आमंत्रित किया है। यह इस तथ्य को दर्शाता है कि उनके काम एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। संभवतः यह बात यूक्रेन द्वारा स्पष्ट कर दी गई थी, जब जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा ने कहा था कि आज जो यूरोप में हो रहा है, वह कल पूर्वी एशिया में भी हो सकता है।
जब रूस ने किया हमला…
ब्लिंकन ने कहा, ‘जब रूस ने यूक्रेन के खिलाफ आक्रामकता दिखाई तो इसके विरोध में जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड खड़ा हुआ। यह इस बात को दर्शाता था कि ये चुनौतियां आपस में जुड़ी हुई हैं। साथ ही जब लोकतंत्र एक साथ खड़े होते हैं, चाहे वे यूरोप, एशिया या कहीं और हों, हम अधिक मजबूत और अधिक प्रभावी होंगे।’ उन्होंने आगे कहा, ‘इसलिए जैसा कि हम यहां वाशिंगटन में अपने हिंद-प्रशांत भागीदारों के साथ इकट्ठे हो रहे हैं, इसका मतलब यह है कि हम यूरोप, एशिया और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच आई दरारों को खत्म कर रहे हैं। राष्ट्रपति बाइडन का पहले दिन से ही एक उद्देश्य रहा है कि न केवल हमारे सहयोगियों के साथ रिश्ते सुधारना बल्कि यूरोपीय भागीदारों और एशियाई भागीदारों के बीच बाधाओं को खत्म करना है।’
रूस को हथियार मुहैया करा रहा चीन
ब्लिंकन ने कहा, ‘पिछले डेढ़ साल में जो कुछ हुआ है, उसने इस जरूरत को और मजबूत किया है। दुर्भाग्य से हम देखते हैं कि चीन रूस को अपनी आक्रामकता जारी रखने के लिए हथियार नहीं दे रहा है, बल्कि मॉस्को के रक्षा औद्योगिक बेस में प्रमुख भूमिका निभा रहा है। रूस जिन 70 प्रतिशत मशीन टूल्स का आयात कर रहा है वे चीन से आ रहे हैं। इतना ही नहीं, मॉस्को द्वारा उपयोग किए जाने वाले 90 प्रतिशत माइक्रोइलेक्ट्रॉनिक्स चीन से आ रहे हैं। बीजिंग ने रूस को यूक्रेन के खिलाफ अपनी आक्रामकता को बनाए रखने में सक्षम बनाया है।’
दो नाव की सवारी नहीं कर सकता चीन
उन्होंने कहा, ‘हमने पिछले डेढ़ साल में टैंक, मिसाइल, युद्ध सामग्री जैसे इसके हथियारों में बड़ी वृद्धि देखी है। चीन द्वारा मॉस्को को यह हथियार दिए जा रहे हैं। इसका नतीजा यह है कि यूरोपीय सहयोगी यूरोप की सुरक्षा के लिए चीन द्वारा उत्पन्न चुनौती को समझते हैं। निश्चित तौर पर चीन दोनों तरह से नहीं चल सकता है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यह सब एक साथ नहीं हो सकता है या यह दावा नहीं किया जा सकता है कि यह शांति के लिए है और यूरोप के साथ बेहतर संबंध चाहता है, जबकि साथ ही, शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से यूरोपीय सुरक्षा के लिए सबसे महत्वपूर्ण खतरे को बढ़ावा दिया जा रहा है।’