जीत के बाद कोच राहुल द्रविड़ ने कहा, मैं यहाँ भार मुक्ति के लिए नहीं आया था, मेरे लिये जिंदगी भर की यादें है

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ब्रिजटाउन। आम तौर पर शांतचित्त रहने वाले राहुल द्रविड़ टी20 विश्व कप जीतने के बाद बच्चों की तरह उछलते नजर आये और बतौर खिलाड़ी जो ट्रॉफी नहीं जीत सके, उसे कोच के तौर पर दिलाने के लिये उन्होंने अपनी टीम को धन्यवाद दिया। रोहित शर्मा की कप्तानी में भारत ने रोमांचक फाइनल में दक्षिण अफ्रीका को सात रन से हराकर आईसीसी खिताब के लिये 11 साल का इंतजार खत्म किया। द्रविड़ ने जीत के बाद कहा ,‘‘ पिछले कुछ घंटों में मेरे पास शब्द नहीं है। मुझे इस टीम पर गर्व है , जिस तरह से कठिन परिस्थितियों में टीम ने संघर्ष किया।’’

उन्होंने कहा ,‘‘ पहले छह ओवर में तीन विकेट गंवाने के बाद इस तरह की जीत दर्ज करना बताता है कि यह टीम जुझारूपन छोड़ने वाली नहीं है। एक खिलाड़ी के तौर पर मैं इतना खुशकिस्मत नहीं रहा कि विश्व कप जीत सकूं। मैने खेलने के दिनों में अपनी ओर से पूरी कोशिश की लेकिन खेल में यह सब होता है।’’ द्रविड़ के लिये यह जीत एक तरह से भार मुक्ति की तरह भी रही जिनकी कप्तानी में 2007 वनडे विश्व कप में टीम पहले दौर में बाहर हो गई थी। द्रविड़ ने हालांकि कहा कि वह इस तरह के शब्दों में विश्वास नहीं करते।

उन्होंने कहा ,‘‘ पहली बात तो यह कि यह कोई भार मुक्ति नहीं है। मैं इस तरह की बातें नहीं सोचता। ऐसे कई खिलाड़ी हैं जो खिताब नहीं जीत सके। मैं खुशकिस्मत हूं कि कोच बना और यह टीम मिली जिसने यह संभव कर दिखाया कि मैं ट्रॉफी जीतकर उसका जश्न मना सकूं।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ अच्छा लग रहा है लेकिन मैं भार से मुक्त होने का लक्ष्य लेकर नहीं आया था। मैं अपना काम कर रहा हूं जिससे मुझे प्यार है। मुझे रोहित और इस टीम के साथ काम करके अच्छा लगा। यह सफर अच्छा रहा जिसका मैने पूरा मजा लिया।’’

द्रविड़ का भारत के कोच के रूप में कार्यकाल भी खत्म हो गया। उन्होंने कहा ,‘‘ इस तरह के ड्रेसिंग रूम का हिस्सा रहना अद्भुत था। यह जिंदगी भर ही यादें हैं।मैं टीम और सहयोगी स्टाफ को इसके लिये धन्यवाद देता हूं।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ मैं विरासत वगैरह में विश्वास नहीं करता। मुझे खुशी है कि अपना सर्वश्रेष्ठ दे सका। मैं इस टीम के लिये और भारतीय प्रशंसकों के लिये खुश हूं।’’ द्रविड़ ने कहा कि वह रोहित को बहुत याद करेंगे।

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