चूरू। जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा की पहल पर जिले के ऊंटपालकों की आय बढाने तथा ऊंटों के संरक्षण की दिशा में चल रहे प्रयास अंतर्गत शनिवार को पशुपालन विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र सरदारशहर तथा चूरू जिला दुग्ध उत्पादक संघ सरदारशहर डेयरी के संयुक्त तत्वावधान में ऊंटपालकों की बैठक की सरदारशहर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में आयोजित की गई।
बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिला कलक्टर अभिषेक सुराणा ने कहा कि हम सदियों से परम्परागत ढंग से खेती और पशुपालन करते आए हैं लेकिन समय के साथ चीजें बदल रही हैं और हमारी आवश्यकताएं भी बढ़ रही है। ऐेसे में सर्वाइव करने के लिए जरूरी है कि खेती और पशुपालन से जुड़े लोग वैज्ञानिक शोध और नई तकनीक को फॉलो करते हुए नवाचारों को अपनाएं ताकि हमें कम खर्च में अधिक उत्पादकता मिल सके।
उन्होंने ऊंटपालकों का सम्बोधित करते हुए बताया कि रेगिस्तान के जहाज ऊंट को सदियों से सवारी एवं बोझा ढोने के काम में लिया जाता रहा है तथा सेना में भी इसका प्रयोग किया जाता रहा है परन्तु वर्तमान में मशीनीकरण के कारण इसका उपयोग कम हुआ है। ऊंट की संख्या में भी पिछले वर्षों में गिरावट देखी गई है। इसी को देखते हुए ऊंट के अन्य कार्यों में उपयोग व ऊंटनी के दूध का अधिकतम उत्पादन कर पशुपालकों की आय बढाने का विचार किया गया है। ऊंटनी के दूध के संग्रहण और विपणन से ऊंटपालकों को लाभान्वित होना चाहिए।
बैठक का आयोजन केवीके प्रभारी डॉ वीके सैनी के निर्देशन में किया गया। गांधी विद्या मन्दिर सरदारशहर के अध्यक्ष हिमांशु दुगड़ एवं ब्रिगेडियर (रि.) अजय त्रिपाठी द्वारा अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत भाषण एवं बैठक की रूपरेखा डॉ. वीके सैनी द्वारा प्रस्तुत की गई। वरिष्ठ पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. निरंजन चिरानिया द्वारा योजना के उद्देश्यों एवं रूपरेखा पर वीडियो फिल्म व पॉवर पॉईन्ट प्रजेन्टेशन से प्रकाश डाला गया। डॉ. चिरानिया ने बताया कि ऊंटनी का दूध बहुत-सी बीमारियों को रोकने में कारगर है। इसलिए जन स्वास्थ्य की रक्षा भी इससे बेहतर हो सकेगी। उपयोगिता कम होने से ऊंटों की संख्या में कमी आ रही है, जिसके संरक्षण के लिए प्रयास शुरू किए गए हैं।
सरदारशहर डेयरी के प्रबन्ध निदेशक डॉ. जितेन्द्र सिंह बुरड़क ने योजना के लिए दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से ऊंटपालकों को जोड़कर एवं ऊंटनी का दूध संकलित कर योजना के सम्बन्ध में रूपरेखा बनाने की आवश्यकता पर कार्य करने का आश्वासन दिया गया। इस अवसर पर ऊंटपालकों से संवाद कर योजना के सम्बन्ध में सुझाव लिये गये तथा योजना की जानकारी देकर ऊंटपालकों से अधिकाधिक जुड़ने का आह्वान किया गया।
उपखण्ड अधिकारी दिव्या चौधरी ने भी ऊंटपालकों से योजना में सक्रिय सहयोग बाबत् आहवान किया। उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र बीकानेर जोड़बीड़ के मुख्य तकनीकी अधिकारी डॉ. काशीनाथ के द्वारा ऊंटनी के दूध, इसके रख-रखाव एवं इसके महत्त्व की जानकारी साझा की गई तथा दूध के उपयोग से बीमारियों की रोकथाम के सम्बन्ध में विस्तार से बताया गया।
बैठक एवं संवाद कार्यक्रम में जिले के 200 से अधिक ऊंटपालक एवं विभागीय अधिकारी कर्मचारियों ने भाग लिया। डॉ. नीतू ढाका, डॉ. मुकेश शर्मा, डॉ. श्याम बिहारी, डॉ. केसरीचन्द, डॉ. प्रवीण शर्मा, डॉ. गिरधारी लाल कस्वां व डॉ. अजय चौहान, डॉ. निखिल सुण्डा, हॉर्टिकल्चर विभाग के अजय कुमावत, रमेश चौधरी तथा तकनीकी कर्मचारी कार्यक्रम में मौजूद रहे। संयुक्त निदेशक डॉ ओमप्रकाश ने धन्यवाद भाषण दिया। संचालन कृषि विज्ञान केंद्र के हरफूल सिंह सहारण ने किया।