आरोपों की बौछार और सुप्रीम फटकार

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कुछ लोग कभी सुधरते नहीं है बल्कि वो तो गलत साबित होने पर अगली बार के लिए और भी ज्यादा चालाक हो जाते है। यह बात कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर बिलकुल फिट बैठती है। देश की सर्वोच्च अदालत ने एक बार फिर लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गाँधी को भारत की भूमि पर चीन के कथित कब्जे के बारे में दिए गये बयान पर जोरदार फटकार लगाई है। अदालत ने कहा वे सच्चे भारतीय होते तो ऐसे बयान नहीं देते। इससे पूर्व प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर राफेल सम्बन्धी टिप्पणी पर राहुल को सुप्रीम कोर्ट से माफ़ी मांगनी पड़ी थी। राहुल अपनी विवादित टिप्पणियों और बयानों के लिए जाने जाते है। राहुल को इन बेसिरपैर के आरोपों के लिए विभिन्न अदालतों में कई मुकदमों का सामना करना पड़ रहा है। मोदी सरनेम पर टिप्पणी को लेकर गुजरात की एक कोर्ट से सज़ा भी मिल चुकी है। एक बार ऐसे विवादित बोल को लेकर उनकी संसद सदस्यता चली गई थी। सावरकर सम्बन्धी बयान पर राहुल को अदालत ने फटकार लगाते हुए कहा कि अगर वो इस तरह के बयान देंगे तो वह उनका खुद संज्ञान लेगा। चुनाव आयोग सहित संवैधानिक संस्थाओं पर वे लगातार आरोप लगाते रहे है। राहुल गांधी ने कहा था कि मेरे पास चुनाव आयोग के खिलाफ सबूतों का एटम बम है। जिस दिन में वह बम फोड़ दूंगा, उस दिन देश भर में चुनाव आयोग दिखाई भी नहीं देगा। भारत की अर्थव्यवस्था को वे मृत बता चुके है। यह भी सही है, सत्ता पक्ष के कामकाज पर निगरानी रखना और जरूरी मुद्दों पर विरोध प्रकट करना उनका हक बनता है मगर बिना सिर पैर के आरोपों लगाने से जनता में उनकी पैठ नहीं बनती। राहुल के आरोपों पर भाजपा के पलटवार से कांग्रेस तिलमिला उठती है। भाजपा आरोप लगाती है कि राहुल ने हम नहीं सुधरेंगे और देश को बदनाम करने की सुपारी ले रखी है। कांग्रेस पार्टी के लोकसभा में 52 से 99 पर पहुँचने के बाद जो गंभीरता पार्टी में आनी चाहिए थी वह कमोवेश देखने को नहीं मिली है। नेता विपक्ष बनने के बाद राहुल गांधी के गुस्से में बढ़ोतरी देखी जा रही है। वे अपने गुस्से का इजहार करने के दौरान जो बातें कह रहे है वे लोगों को हज़म नहीं हो रही है। लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के बाद राहुल गाँधी प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला करने का कोई भी मौका छोड़ नहीं रहे है। राहुल गाँधी मोदी के बहाने बेसिरपैर के आरोप लगाते तनिक भी नहीं हिचकिचाते । मगर वे यह भूल गए देश की जनता ने नेहरू, इंदिरा और राजीव की भांति मोदी को भी प्रचंड बहुमत के साथ देश का ताज पहनाया है। राहुल गांधी को लोग गंभीरता से क्यों नहीं लेते है, यह प्रश्न सियासी क्षेत्रों में तेजी से चर्चित हो रहा है। राहुल गांधी को बहुत गुस्सा आता है जब लोग उन्हें तरह तरह की उपमाओं से नवाजते है। राहुल कई बार यात्राएं निकालकर लोगों के बीच गए। हर तबके के लोगों से मिले। उनका प्यार भी उन्हें मिला, मगर राजनीति में जो सफलताएं उन्हें मिलनी चाहिए उससे मरहूम रहे। राहुल की दादी इंदिरा गाँधी की आवाज में जादू था। राहुल यह जादू अपने भाषणों में जाहिर नहीं कर पाए। लोगों ने तमाम तरह की उपमाओं से उन्हें विभूषित किया। किसी ने पप्पू कहा तो किसी ने शहजादा। आलू से सोना बनाने की किवदंती भी उनसे जोड़ दी गई। राहुल ने अपने विवादित बयानों से कई बार मोदी को पटकने की चेष्टा की मगर हर बार उनका दांव खाली गया। चौकीदार चोर से लेकर आरक्षण ख़त्म करने के उनके बयान हवा हवाई साबित हुए। भाजपा का कहना है जब उनकी पार्टी ही उन्हें गंभीरता से नहीं लेती तो हम क्यों ले। चौकीदार चोर, पनोती और जेब कतरा से लेकर अम्बानी अडानी के मुद्दे फेल हो चुके है। या यों कहे जनता ने नकार दिए। वे मोदी पर निजी हमले करने से बाज नहीं आते मगर जनता की अदालत में हर बार ठुकरा दिए जाते है। राहुल गांधी की एक दशक की सियासी यात्रा पर दृष्टिपात करें तो पाएंगे कि मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने मोदी पर तरह तरह के आरोप लगाए। गौरतलब है राहुल ने देश की सवैंधानिक संस्थाओं यथा चुनाव आयोग, न्यायालय और प्रेस पर भी समय समय पर हमला बोला है। कांग्रेस में यह क्या हो रहा है, अपनी पार्टी को संगठित करने के बजाय संवैधानिक संस्थाओँ को तोड़ने वाली बातें कर क्या हासिल करेंगे यह समझ से बाहर है।

बाल मुकुन्द ओझा

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