पाकिस्तान से आने वाली ख़बरों पर यकीन करें तो पाकिस्तान एक बार फिर अपने खूनी इतिहास को दोहराने जा रहा है। जियाउलहक ने 1979 में जुल्फिकार अली भुट्टों को फांसी दे दी थी और अब इमरान खान की जेल में मौत की ख़बरों से पूरी दुनियां हतप्रभ है। इसी बीच अदियाला जेल प्रशासन ने इमरान खान को लेकर चल रही अफवाहों को खारिज कर दिया है। अधिकारियों ने बताया कि वह जेल में ही हैं, पूरी तरह स्वस्थ हैं और उन्हें सभी जरूरी मेडिकल सुविधाएं मिल रही हैं। पाकिस्तान में लोकतंत्र के छलावे से हर कोई परिचित है। यह भी सर्वविदित है इस देश में सैनिक हुकुमरानों की इच्छा के बिना पत्ता भी नहीं हिलता। यहाँ एक और सैनिक तानाशाह आसिम मुनीर ने इमरान खान को जेल में डाल रखा है और उनके जीवित रहने या नहीं रहने की ख़बरें मीडिया की सुर्खिया बनी हुई है। पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को लेकर इस समय पाकिस्तान की सियासत गरमाई हुई है। इमरान खान 2023 से रावलपिंडी की अदियाला जेल में बंद हैं, लेकिन इस वक्त पाकिस्तान में उनकी हत्या की अफवाह तेजी से फैल गई है। पाकिस्तान की सेना और सरकार पर जेल में उन्हें टॉर्चर करने का आरोप है। जबकि उनसे किसी को मिलने नहीं दिया जा रहा, जिससे अफवाह को बल मिल रहा है। इमरान खान की बहनें नोरीन खान, अलीमा खान और उजमा खान को जेल के बाहर से घसीटकर भगा दिया गया। उनके साथ मारपीट भी की गई।
पाक के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान सेना की मदद से पाक पर काबिज हुए थे। जितने दिन उन्हें सेना की छत्रछाया मिली वे निर्बाध रूप से राज करते रहे फिर जैसे ही उन्होंने अपनी स्वतंत्र आवाज बुलंद करनी चाही तो उनसे जल्द ही शासन से बेदखल होना पड़ा। बेदखल होने के बाद इमरान पर कई मुक़दमे कायम किये गए और अन्तोगत्वा अपने पूर्ववर्ती शासकों की तरह जेल के सींकचों में बंद होना पड़ा। भारत से अलग होने के बाद पाकिस्तान ने भी लोकतंत्र का रास्ता चुना था। मगर शीघ्र ही लोकतंत्र की यह नकाब उतर गई। पाक में लोकतंत्र के पीछे सेना खड़ी हो गई और देखते देखते पाक पर छद्म रूप से सेना काबिज हो गई। कहा जाता है पाक पर वही पार्टी शासन करेगी जिसे सेना का समर्थन मिलेगा। अन्यथा सैना खुद शासन की कमान सँभालते देर नहीं करेगी। यह कोई कल्पित कहानी नहीं है अपितु पाक की असलियत है। कहते है पाक के शासक का पद काँटों के ताज से कम नहीं है। उसे कब सत्ताच्युत होकर जेल जाना पड़ेगा यह किसी को मालूम नहीं है। इससे पहले सुहरावर्दी से लेकर इमरान तक 5 निर्वाचित नेता गिरफ्तार हो चुके हैं। एक को फांसी दी गई थी। पाकिस्तान अपने पूर्व शासकों को जेल भेजने के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है।
पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान तोशखाना केस में दोषी करार दिए गए। उन्हें तीन साल की सजा हुई। हुसैन सुहरावर्दी, जुल्फिकार अली भुट्टो, बेनजीर, परवेज मुशर्रफ ,नवाज शरीफ, शाहिद खाकान अब्बासी आदि की कहानी ज्यादा पुरानी नहीं है जिन्होंने पहले निर्बाध रूप से पाक पर शासन किया और फिर जेल जाना पड़ा। 1956 से 1957 तक पाकिस्तान के पांचवें प्रधानमंत्री हुसैन सुहरावर्दी को 1962 में गिरफ्तार किया गया था, जब उन्होंने 1958 में जनरल अयूब खान के तख्तापलट का समर्थन करने से मना कर दिया था। हुसैन को 1962 में पाकिस्तान सुरक्षा अधिनियम 1952 के तहत जेल में डाल दिया गया। इसके साथ ही उन्हें पाकिस्तान में राजनीति में भाग लेने से भी प्रतिबंधित कर दिया गया था। इसी तरह जुल्फिकार अली भुट्टो ने 1971 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में जनरल याह्या खान की जगह ली थी। उन्होंने 1973-1977 तक प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया था। उनके शासनकाल में पाकिस्तान ने भारत के साथ शिमला समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं। लेकिन जुलाई 1977 में एक सैन्य तख्तापलट के माध्यम से जनरल जिया-उल-हक ने सत्ता हड़प ली। भुट्टो को एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की हत्या की साजिश के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया था। सितंबर 1977 में रिहा तो किया गया लेकिन फिर से गिरफ्तार कर लिया गया। बाद में उन्हें अप्रैल 1979 में सेंट्रल जेल रावलपिंडी में फांसी दे दी गई। शाहिद खाकान अब्बासी, जिन्होंने 2017 से 2018 तक प्रधानमंत्री के रूप में नवाज शरीफ की जगह ली थी, उनको भी कथित भ्रष्टाचार के लिए जनवरी 2019 में 12-सदस्यीय राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (एनएबी) की टीम ने गिरफ्तार किया था। 2001 से 2007 तक पाक के प्रधानमंत्री परवेज मुशर्रफ को भी सत्ताच्युत कर देश से निर्वासित गया था। पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ का संयुक्त अरब अमीरात में निधन हो गया। मुर्शरफ के खिलाफ पाकिस्तान में कई मुकदमें चल रहे थे और इसी वजह से वह दुबई में निर्वासन में जी रहे थे। इससे पहले पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के साथ भी कुछ ऐसा ही हश्र हुआ था। अप्रैल 2018 में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने नवाज शरीफ को आजीवन सार्वजनिक पद धारण करने से अयोग्य घोषित कर दिया था।
1988 और 1990 के बीच 2 बार और फिर 1993 से 1996 तक पीएम बनने से पहले जुल्फिकार अली भुट्टो की बेटी बेनजीर भुट्टो को कई गिरफ्तारियों और जेल में कई शर्तों का सामना भी करना पड़ा था। 2007 में एक आत्मघाती हमलावर ने बेनजीर की हत्या कर दी थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक यह हत्या पाकिस्तानी तालिबान और अलकायदा के इशारे पर की गई थी।
पाक अपना इतिहास दोहरा रहा है। असल में पाक में लोकतंत्र का दिखावा मात्र है वहां असली शासन की बागडोर सेना के हाथ में है। जो व्यक्ति सेना की हुक्म उदूली करेगा उसे सत्ता से हटना ही होगा।
– बाल मुकुन्द ओझा



