जयपुर: जयपुर और उदयपुर के दो-दो तुलाई कांटों के कम्प्यूटराइज मोड्यूल का 1 से 7 दिसंबर तक परीक्षण और संचालन – प्रमुख सचिव माइंस श्री टी. रविकान्त

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जयपुर। प्रमुख सचिव माइंस एवं पेट्रोलियम श्री टी. रविकान्त ने बताया है कि विभाग द्वारा तैयार किये जा रहे तुलाई कांटों के कम्प्यूटराइज मोड्यूल का आगामी 1 से 7 दिसबंर तक जयपुर और उदयपुर के दो-दो तुलाई कांटों पर परीक्षण संचालन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि परीक्षण संचालन के दौरान आने वाले अनुभवों को देखते हुए वेब्रीज मोड्यूल को अंतिम रुप देते हुए इस साल के अंत तक चरणवद्ध तरीके से प्रयोग में लाना आरंभ कर दिया जाएगा। पहले चरण में सीमेंट, आयरन ऑर व इसी तरह की बड़ी माइनिंग लीजों को इसके दायरें में लाया जाएगा। प्रमुख सचिव माइंस मंगलवार को सचिवालय में निदेशक माइंस श्री महावीर प्रसाद मीणा, प्रोजेक्ट से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के साथ प्रगति समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने बताया कि तुलाई कांटों को धरातल से उंचा बनाया जाएगा ताकि सही तुलाई हो सके। इससे व्यवस्था के पारदर्शी होने के साथ ही लीजधारकों को भी आये दिन होने वाली असुविधा व विवादों से राहत मिल सकेगी। उन्होंने बताया कि व्यवस्था को पारदर्शी बनाते हुए विभागीय वेबसाइट पर वेण्डर्स की सुझावात्मक सूची भी उपलब्ध कराई जाएगी ताकि संबंधित संस्था वेण्डर्स से सीधा संवाद कायम करते हुए विभाग द्वारा तैयार किए गए मॉड्यूल के सपोटिंग आवश्यक उपकरणों की खरीद कर सके। श्री टी. रविकान्त ने कहा कि विभाग चरणवद्ध तरीके से पूरी व्यवस्था को पेपरलेस बनाने जा रहा है इससे लीजधारकों को भी अनावश्यक रुप से विभागीय कार्यालयों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। राज्य स्तर पर जयपुर और उदयपुर में कमाण्ड सेंटर भी विकसित किया जाएगा जहां से तुलाई कांटों की ऑनलाईन निगरानी भी सुनिश्चित की जा सकेगी। निदेशक माइंस श्री महावीर प्रसाद मीणा ने बताया कि वेब्रीज और व्हीकल ट्रेकिंग सिस्टम लागू होने से व्यवस्था और अधिक पारदर्शी हो जाएगी और इससे खानधारकों को भी लाभ होगा। अतिरिक्त निदेशक डीएमजीओएमएस श्रीमती शीतल अग्रवाल ने साफ्टवेयर व अन्य तैयारी प्रगति से विस्तार से अवगत कराया। सीएमएस के वीपी श्री विनय दुबे ने विस्तार से मॉड्यूल के संबंध में जानकारी दी। बैठक में संयुक्त सचिव माइंस श्री अरविन्द सारस्वत, अतिरिक्त निदेशक श्री महेश माथुर, अधीक्षण खनि अभियंता श्री एनएस शक्तावत, श्री प्रताप मीणा, ओएसडी श्री श्रीकृष्ण शर्मा, अधीक्षण भूवैज्ञानिक एरियल सर्वें श्री सुनील वर्मा व अन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया।

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