जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा की पहल एवं चिकित्सा मंत्री गजेन्द्र सिंह खींवसर के निर्देशन में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में सार्थक प्रयास सुनिश्चित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में मंगलवार को स्वास्थ्य भवन में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की प्रमुख शासन सचिव गायत्री राठौड़ की अध्यक्षता में प्रदेश के वरिष्ठ स्त्री रोग एवं शिशु रोग विशेषज्ञों, मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्षों एवं डवलपमेंट पार्टनर्स के प्रतिनिधियों के साथ विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। प्रमुख शासन सचिव ने कहा कि आगामी समय में मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम करने की दिशा में व्यवस्थाओं को और सुदृढ़ बनाते हुए प्रोएक्टिव एप्रोच के साथ अधिक फोकस होकर कार्य किया जाएगा। उन्होंने कहा कि गर्भवती महिलाओं एवं बीमार शिशुओं के उच्च चिकित्सा संस्थानों पर अनावश्यक रैफरल को रोकने के लिए मैकेनिज्म को और मजबूत बनाया जाएगा। साथ ही, उन्होंने ब्लॉक स्तर पर वरिष्ठ चिकित्सकों की देखरेख में छोटे-छोटे मेंटरिंग सेंटर बनाने की आवश्यकता प्रतिपादित की।
उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के गुणवत्तापूर्ण नियमित प्रशिक्षण पर ध्यान दिया जाएगा। ई-कंसल्टेशन विकसित करें मॉड्यूल-
राठौड़ ने कहा कि यह भी ध्यान रखा जाएगा कि संबंधित चिकित्सा प्रभारी के सुपरविजन में आशा-एएनएम द्वारा एक ठोस मॉनिटरिंग सिस्टम विकसित हो, ताकि गर्भवती महिला की प्रसव पूर्व की पहली जांच के बाद लगातार देखभाल की जाए। इससे प्रसव के दौरान उच्च जोखिम में कमी आ सकेगी। उन्होंने कहा कि यूनिसेफ सहित अन्य डवलपमेंट पार्टनर्स ई-कंसल्टेशन मैकेनिज्म के लिए एक मॉड्यूल विकसित करें।
आगामी कार्य योजना में शामिल होंगे सुझाव-
मिशन निदेशक एनएचएम डॉ. अमित यादव ने कहा कि इस चर्चा में वरिष्ठ विशेषज्ञों से उनके अनुभवों के आधार पर सुझाव लिए गए हैं, जो आगामी कार्ययोजना में शामिल किए जाएंगे। इन सुझावों से मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाने में मदद मिलेगी। बैठक में निदेशक आरसीएच डॉ. मधु रतेश्वर, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. सीतारमण, वरिष्ठ स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. लीला व्यास, अधीक्षक महिला अस्पताल डॉ. आशा वर्मा, अधीक्षक जनाना डॉ. नुपुर, यूनिसेफ के हैल्थ स्पेशलिस्ट डॉ. अनिल अग्रवाल, वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. रमेश चौधरी, परियोजना निदेशक मातृ स्वास्थ्य डॉ. तरूण चौधरी, आरबीएसके के परियोजना निदेशक डॉ. मुकेश डिगरवाल, परियोजना निदेशक शिशु स्वास्थ्य डॉ. प्रदीप चौधरी सहित राजकीय एवं निजी अस्पतालों के विशेषज्ञ तथा डवलपमेंट पार्टनरर्स एफओसीएसआई, आईएपी, एनएनफ के प्रतिनिधि उपस्थित रहे। एम्स जोधपुर के वरिष्ठ शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ. नीरज गुप्ता वीसी के माध्यम से जुड़े।



