जयपुर: क्रिटिकल, स्ट्रेटेजिक, आरआरई खनिजों की दृष्टि से राजस्थान प्रमुख खनिज संपन्न प्रदेश, एक्सप्लोरेशन संस्थाओं में परस्पर समन्वय व सहयोग की आवश्यकता प्रतिपादित-श्री टी. रविकान्त

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जयपुर। स्टेट जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की बैठक में आगामी वर्ष के मिनरल अन्वेषण कार्यों को अनुमोदित किया गया। प्रमुख सचिव खान एवं भूविज्ञान श्री टी. रविकान्त ने कहा है कि क्रिटिकल, स्ट्रेटेजिक व रेयर अर्थ एलिमेंट खनिजों के दृष्टि से भी राजस्थान देश का प्रमुख खनिज संपदा वाला प्रदेष है। ऐसे में जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया, एटोमिक एनर्जी डिपार्टमेंट, मिनरल एक्सप्लोरेशन, आरएसएमईटी और खान व भूविज्ञान विभाग सहित राज्य में काम कर रही केन्द्र व राज्य की खनिज खोज कार्य में जुटी संस्थाओं को बेहतर समन्वय और सहयोग से कार्य करना होगा ताकि कार्य में गुणवत्ता के साथ ही ओवरलेपिंग जैसी स्थिति नहीं आयें। उन्होंने बताया कि आगामी वर्ष 2026-27 में राजस्थान के खान विभाग द्वारा लाइमस्टोन, डेकोरेटिव स्टोन, फैरस मेटल, आरईई, औद्योगिक खनिजों सहित खनिजों की खोज की 37 परियोजनाओं पर एक्सप्लोरेशन का कार्य किया जाएगा। वहीं जीएसआई प्रदेश में खनिज अन्वेषण की 80 परियोजना पर कार्य करेगा जिसमें 40 से 42 परियोजनाएं क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक मिनरल की परियोजनाएं शामिल की गई है। राजस्थान में क्रिटिकल मिनरल की दृष्टि से सिवाणा रिंग क्षेत्र संभावनाओं से भरा इलाका है और इसके साथ ही सीकर के रोहिला सहित आसपास के क्षेत्र में यूरेनियम के भण्डार उपलब्ध है। बांसवाड़ा के आसपास के क्षेत्र में एसोसिएटेड आयरन मिनरल सहित गोल्ड के भण्डार उपलब्ध है। बीकानेर-नागौर बेल्ट में पोटाश के भण्डार है। प्रमुख सचिव श्री टी. रविकान्त 60 वीं स्टेट जियोलोजिकल प्रोग्रामिंग बोर्ड की बैठक को संबोधित कर रहे थे। एसजीपीबी में केन्द्र व राज्य की संस्थाओं द्वारा आगामी वर्ष किये जाने वाले एक्सप्लोरेशन प्रोग्राम का अनुमोदन और पूर्व अनुमोदित परियोजनाओं की प्रगति समीक्षा की जाती है। उन्होंने कहा कि राजस्थान खनिजों की दृष्टि से विपुल संपदा वाला प्रदेश है। ऐसे में राज्य में काम कर रही एक्सप्लोरेशन संस्थाओं को औपचारिक और अनौपचारिक रुप से त्रैमासिक या मासिक रुप से परियोजना प्रगति व कार्यों पर संवाद कायम रखना चाहिए जिससे खनिज खोज कार्य में एक दूसरे व फील्ड अनुभवों को साझा किया जा सके। इससे पारदर्शिता के साथ ही बेहतर परिणाम प्राप्त हो सकेंगे व एक दूसरे के कार्यक्षेत्र में अनजाने में दखल की संभावना नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कि राजस्थान माइनिंग सेक्टर में आज देश का अग्रणी प्रदेश हो गया है और मेजर मिनरल ब्लॉकों के ऑक्शन में पहला स्थान प्राप्त करने के साथ ही 8 प्री एम्बेडेड ब्लॉको की ऑक्शन प्रक्रिया शुरु कर नया माइलस्टोन बनाने जा रहा है। अब लाइमस्टोन के साथ ही अन्य मेजर मिनरल्स की नीलामी पर भी जोर दिया जाएगा ताकि ऑक्शन में विविधिकरण आ सकेगा। जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के उप महानिदेशक श्री एलएमएस मोरा ने कहा कि खनिज संपदा की दृष्टि से राजस्थान देश का महत्वपूर्ण राज्य बन गया है और जिस तरह से राजस्थान में खनिज खोज और खनन ब्लॉकों की नीलामी में कार्य हो रहा है वह प्रशंसनीय है। उन्होेंने बताया कि केन्द्र सरकार का क्रिटिकल और स्ट्रेटेजिक मिनरल पर जोर है और उसी को देखते हुए साल 2026-27 में जीएसआई द्वारा 80 एक्सप्लोरेशन परियोजनाओं में से 40 से 42 परियोजनाएं क्रिटिकल मिनरल के एक्सप्लोरेशन की ली जा रही है। उन्होंने राज्य सरकार, खान व भूविज्ञान विभाग और एक्सप्लोरेशन के क्षेत्र में जुटी केन्द्र की संस्थाओं के बीच बेहतर समन्वय की सराहना की। उन्होंने बताया कि एनजीडीआर प्लेटफार्म पर खनिजों को डेटा उपलब्ध है। जीएसआई के श्री हरीश मिस़्त्री ने जीएसआई द्वारा राज्य में माइनिंग सेक्टर के लिए एक्सप्लोरेशन से लेकर तकनीकी अपग्रेडेशन, सहयोग, मार्गदर्शन व समन्वय से किये जा रहे कार्यों की विस्तार से जानकारी दी। एटोमिक एनर्जी डिपार्टमेंट एएमडी के क्षेत्रीय निदेशक श्री पी. जगदीशन ने रोहिला, अलवर व सिवाणा रिंग में किये जा रहे कार्यों को साझा किया। एमईसीएल के श्री आशीष सिंह ने पोटाश, रॉकफास्फेट और आरईई के एक्सप्लोरेशन आदि की जानकारी दी। खान एवं भूविज्ञान विभाग के अधीक्षण भूविज्ञानी श्री नितिन चौधरी ने आगामी माहों में 22 मेजर मिनरल ब्लॉक नीलामी की प्रक्रिया में है वहीं आगामी वर्ष में मिनरल ब्लॉकों की नीलामी के साथ ही 37 एक्सप्लोरेशन परियोजनाओं पर कार्य किया जाएगा। आरंभ में एडीजी मुख्यालय श्री गोपालाराम ने स्वागत किया। एडीजी उदयपुर श्री एसएन डोडिया ने माइनिंग सेक्टर में विकास की गति को और अधिक तेज करने का विश्वास दिलाते हुए आभार व्यक्त किया। एडीजी जयपुर श्री आलोक प्रकाश जैन, एसजी जयपुर श्री संजय सक्सैना, श्री सुनील वर्मा सहित जीएसआई, एमईसीएल आदि के प्रतिनिधियों ने भी सुझाव दिए। एसजीपीबी की बैठक में खान विभाग के भूवैज्ञानिकों, एमईसीएल, एएमडी सहित संबंधित संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया।

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