जेनेवा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) ने सूडान की स्थिति पर आपात सत्र बुलाने का निर्णय लिया है। यह बैठक विशेष रूप से अल-फाशिर शहर में हुए संभावित नरसंहार और मानवाधिकार उल्लंघनों पर केंद्रित होगी। यूएन की एक राजनयिक रिपोर्ट के अनुसार, यह आपात बैठक 14 नवंबर को आयोजित की जाएगी। दरअसल, हाल ही में रैपिड सपोर्ट फोर्सेज (आरएसएफ) ने सूडानी सेना के अंतिम ठिकाने अल-फाशिर पर कब्जा कर लिया था। यह घटना देश में पिछले ढाई साल से जारी गृहयुद्ध में एक अहम मोड़ मानी जा रही है। इस कब्जे के बाद अब पैरामिलिट्री बलों का नियंत्रण देश के लगभग एक-चौथाई हिस्से पर हो गया है। संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार कार्यालय के अनुसार, शहर पर कब्जे के दौरान सैकड़ों नागरिकों और निहत्थे लड़ाकों की हत्या की आशंका है। यही कारण है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने तत्काल मानवीय हस्तक्षेप की मांग की है। ब्रिटेन, आयरलैंड, जर्मनी, नीदरलैंड और नॉर्वे के नेतृत्व में पेश किए गए प्रस्ताव को 50 से अधिक देशों का समर्थन मिला है, जिनमें मानवाधिकार परिषद के एक-तिहाई मतदान सदस्य शामिल हैं। हालांकि, सूडान सरकार ने अंतरराष्ट्रीय जांच और निगरानी को लेकर पहले भी आपत्ति जताई है। संयुक्त राष्ट्र में सूडान के राजदूत हसन हमीद हसन ने इस सप्ताह कहा कि उनका देश अभी इस बैठक पर अपनी स्थिति तय कर रहा है। उधर, आरएसएफ ने गुरुवार को कहा कि वह मानवीय संघर्षविराम (ह्यूमैनिटेरियन सीजफायर) के प्रस्ताव पर सहमत है, ताकि प्रभावित क्षेत्रों में राहत पहुंचाई जा सके। यह बैठक न केवल सूडान में मानवाधिकार स्थिति पर वैश्विक ध्यान केंद्रित करेगी, बल्कि संयुक्त राष्ट्र के लिए यह परीक्षा भी होगी कि वह अफ्रीका के इस युद्धग्रस्त देश में मानवीय संकट को रोकने के लिए कितना प्रभावी कदम उठा पाता है।

सूडान पर संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की आपात बैठक बुलाने की तैयारी
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