जैसलमेर। देश की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर कठिन भौगोलिक परिस्थितियों में अदम्य साहस के साथ तैनात सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने दीपोत्सव मनाया। राजस्थान फ्रंटियर के अंतर्गत जैसलमेर सेक्टर की अग्रिम चौकियों पर तैनात जवानों ने घर से दूर ‘घर जैसे माहौल’ में दीपावली की शुरुआत की। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद हो रहे इस छह दिवसीय दीपोत्सव की शुरुआत अंधकार पर प्रकाश की विजय के प्रतीक के रूप में की गई। जवानों ने चौकियों पर दीये और मोमबत्तियाँ जलाकर मिठाई बाँटी और देशवासियों को दीपावली की शुभकामनाएँ दीं। सरहद के पार जहाँ सन्नाटा और अंधेरा पसरा हुआ था, वहीं भारतीय सीमा फ्लड लाइट्स, दीयों और मोमबत्तियों की रोशनी से जगमगा उठी। अपने घरों और परिवारों से सैकड़ों किलोमीटर दूर तैनात पुरुष और महिला जवानों ने चौकियों को दीपों, रंगोली और रोशनी से सजाया तथा फुलझड़ियाँ, अनार और चकरी चलाकर पर्व की खुशियाँ साझा कीं। पाकिस्तान सीमा से सटी तारबंदी और चौकियों को जवानों ने आकर्षक रोशनी से सजाया, जो एक मनमोहक दृश्य प्रस्तुत कर रही थीं। जवानों और अधिकारियों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर दीपावली की शुभकामनाएँ दीं। बीएसएफ परिवार का उद्देश्य है कि कोई भी जवान अपने को सीमा पर अकेला महसूस न करे। इसलिए हर साल की तरह इस बार भी दीपावली का त्योहार बॉर्डर तक पहुँचकर पूरे हर्षोल्लास से मनाया गया। रात गहराते ही जैसलमेर से लगती भारतीय सीमा दीपों की रौशनी से नहा उठी, जबकि सीमा पार अंधेरा पसरा रहा। इस दौरान जवानों ने नारे लगाए हम हैं सीमा सुरक्षा बल और देशवासियों को यह भरोसा दिलाया कि वे सीमाओं की सुरक्षा के लिए हर पल सतर्क और तत्पर हैं।

सरहद पर जवानों ने मनाया दीपोत्सव, रोशनी से जगमगाई भारत-पाक सीमा
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