रूसी तेल खरीदना पूरी तरह से “वैध” है : चीन

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बीजिंग। चीन ने अमेरिका के साथ बढ़ते व्यापार विवाद के बीच साफ शब्दाें में कहा है कि उसका रूसी तेल खरीदना पूरी तरह से “वैध” है और वह अमेरिका के राष्ट्रपति डाेनाल्ड ट्रंप की हाल की “एकतरफा धमकियाें” की कड़ी निंदा करता है। चीन का यह बयान अमेरिेकी राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा बुधवार को की गई उस टिप्पणी के बाद गुरुवार काे आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूसी तेल खरीदना बंद करने का वादा किया है और वह चीन से भी ऐसा ही करने को कहेंगे। गाैरतलब है कि ट्रंप ने चीन और भारत पर इस खरीद के ज़रिए तीन साल से चल रहे यूक्रेन युद्ध को वित्तपोषित करने का आरोप लगाया है और यह भी मांग की है कि यूरोपीय सहयोगी देश रूस से तेल खरीदना तुरंत बंद कर दें। भारत ने इस बाबत अपनी नीति में इस बाबत किसी बदलाव की न तो पुष्टि की और न ही इनकार किया है। इस बीच रूसी तेल ना खरीदने के बारे में चीन पर और दबाव बनाने के ट्रंप के इरादे पर चीन के विदेश मंत्रालय ने गुरूवार काे “रूस सहित दुनिया भर के देशों के साथ अपने सामान्य, वैध आर्थिक, व्यापारिक और ऊर्जा सहयोग” का बचाव किया। मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने एक प्रेस वार्ता में कहा, “अमेरिका की कार्रवाई एकतरफा धमकाने और आर्थिक दबाव बढ़ाने का एक विशिष्ट उदाहरण है।” उन्होंने चेतावनी दी कि अगर चीन के हितों को नुकसान पहुँचाया गया, तो वह “कड़े जवाबी कदम उठाएगा और अपनी संप्रभुता की दृढ़ता से रक्षा करेगा”। चीन ने गुरुवार को निर्यात नियंत्रण बढ़ाने और चीनी जहाजों पर नए बंदरगाह शुल्क लगाने के अमेरिका के हालिया कदमों की भी आलोचना की और कहा कि इन उपायों का दोनों महाशक्तियों के बीच व्यापार वार्ता पर “बेहद हानिकारक” प्रभाव पड़ा है। हालाँकि अमेरिका और चीन के बीच तनाव अभी कुछ कम हुआ है लेकिन इस बाबत अभी तक काेई स्थायी समाधान नहीं निकल पाया है। चीन और रूस प्रमुख व्यापारिक साझेदार हैं, और चीन ने कभी भी यूक्रेन के खिलाफ जारी युद्ध के दाैरान रूस की निंदा नहीं की है, न ही उससे अपने सैनिकों को वापस बुलाने का आह्वान किया है। हालांकि यूक्रेन और पश्चिमी सरकारें लंबे समय से चीन पर रूस को राजनीतिक और आर्थिक समर्थन देने का आरोप लगाती रही हैं। इस बीच चीन द्वारा दुर्लभ खनन प्रौद्योगिकियों और खनिजाें के निर्यात पर नए नियंत्रण लगाए जाने के बाद, ट्रम्प ने कहा था कि वह एक नवंबर से चीन के उत्पादों पर 100 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाएंगे। अमेरिका ने अप्रैल में भी “धारा 301” के तहत उद्योग में चीन के प्रभुत्व को अनुचित पाए जाने के बाद, उसके यहां आने वाले चीन निर्मित और संचालित जहाजों पर शुल्क लगाने की घाेषणा की थी। अमेरिकी व्यापार अधिनियम, 1974 की धारा 301, अमेरिका को उन देशों पर व्यापार दंड लगाने का अधिकार देती है जिनकी प्रथाओं को अमेरिकी वाणिज्य के लिए अनुचित या हानिकारक माना जाता है। उधर इसके जवाब में चीन ने पिछले सप्ताह चीनी बंदरगाहों पर आने वाले अमेरिकी जहाजों पर “विशेष बंदरगाह शुल्क” की घोषणा की । दोनों शुल्क मंगलवार से लागू हो गए। इस बीच चीनी वाणिज्य मंत्रालय की प्रवक्ता ही योंगकियान ने कहा है कि अमेरिका ने ” चीन की ईमानदारी की अनदेखी” करते हुए इन कदमाें काे आगे बढ़ाया, जाे “चीन के हितों के लिए बेहद गंभीर और हानिकारक रहे है। चीन के वाणिज्य मंत्री वांग वेंटाओ ने भी बीजिंग में एप्पल के सीईओ टिम कुक के साथ बैठक के दौरान अमेरिका पर नवीनतम व्यापार विवाद को भड़काने का आरोप लगाया। मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के अनुसार, वांग ने अमेरिकी सीईओ से कहा, “चीन-अमेरिका व्यापार संबंधों की समग्र स्थिरता बनाए रखने के लिए दोनों पक्षों को एक साथ मिलकर काम करना होगा।”

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