भारत ने पकड़ी ई-कॉमर्स की रफ़्तार : ऑनलाइन बाजार हुए गुलज़ार

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देश और दुनिया में इस समय ई-कॉमर्स यानी कि इलेक्ट्रॉनिक कॉमर्स सुर्खियों में है। यह ऑनलाइन व्यापार करने का एक तरीका है। इसके अंतर्गत इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम के द्वारा इंटरनेट के माध्यम से वस्तुओं और सेवाओं की खरीद-बिक्री की जाती है। इस साल ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म पर करीब छह लाख करोड़ रुपए का कारोबार होने का अनुमान है, जिसमें ऑनलाइन पर 1.20 लाख करोड़ रुपए के कारोबार का अनुमान लगाया जा रहा है, जो हमारे देश की जीडीपी का 3.2 प्रतिशत आंका गया है। नामी गिरामी ई-कॉमर्स कंपनियों ने त्योहारी सीज़न और जीएसटी में हालिया बदलाव का फायदा उठाना भी शुरू कर दिया है। उन्होंने पहले ही डिस्काउंट ऑफर देने शुरू कर दिए थे। कई कंपनियों के विज्ञापन में 50 से 80 प्रतिशत डिस्काउंट का ऑफर दिया जा रहा है। अनुसंधान फर्म ‘डेटम इंटेलिजेंस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2025 में जीएसटी दरों को आमजन के अनुकूल और सुविधाजनक बनाने से इस साल त्योहारी बिक्री 27 प्रतिशत से बढ़कर 1.20 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकती है, क्योंकि टैक्स स्लैब को कम करने से कई जरूरी उत्पादों की कीमत में कमी आई है, जिससे बिक्री में 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी की आशा है। नई जीएसटी व्यवस्था में अब सिर्फ 5 और 18 प्रतिशत के 2 टैक्स स्लैब रखे गए हैं और कुछ दरों को पूरी तरह से हटा दिया गया है, जिससे ग्राहकों को 10 प्रतिशत तक की बचत होने का अनुमान है। नई जीएसटी व्यवस्था में टीवी, एसी, इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरण और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स पर विशेष तौर पर बचत होगी।
आज के समय में ऑनलाइन ख़रीदारी करना लोगों विशेषकर युवाओं द्वारा बहुत पसंद किया जा रहा है। इंटरनेट के माध्यम से खरीदारी को ही ई-कॉमर्स कहते है। घरेलू उत्पादों सहित मोबाइल, ग्रोसरी, फर्नीचर, कपडे एवं इलेक्ट्रानिक का सामान आदि खरीदने के लिए बाजार नहीं जाना पड़ता है अपितु घर बैठे ही इंटरनेट ऑनलाइन शॉपिंग के द्वारा एक क्लिक से आप घर पर ही सामान मंगवा सकते है। ऑनलाइन शॉपिंग का व्यवसाय आज के समय में बहुत लोकप्रिय बन चुका है। ऑनलाइन खरीदारी में आपको उत्पाद के विषय में सम्पूर्ण जानकारी दी जाती है तथा मोल-भाव भी नहीं होता जिससे आपसे अधिक पैसे सामान के लिए नहीं लिए जा सकते। जहां लोग पहले खुद दुकानों पर जाकर खरीददारी करते थे। वहीं लोग अब अपनी सुविधा को मद्देनज़र रखते हुए ऑनलाइन खरीद फरोख्त करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। इसी कारण अमेज़न, फ्लिपकार्ट, मिंत्रा, मीशो, ब्लिंकिट,स्नेपडील, शॉपक्लूज, बिगबास्केट, ग्रोफर्स, डील शेयर, स्विगी और जेप्टो जैसे ब्रांड तेजी से अपने पैर जमा रहे हैं। ऑनलाइन व्यापार चार महत्वपूर्ण बाजार वर्गों में काम करता है और इसे सेल फोन, टैबलेट और अन्य शानदार गैजेट्स के माध्यम से चलाया जा सकता है। आज के समय में ई-कॉमर्स के लिये इंटरनेट सबसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं में से एक है। यह बुनियादी ढाँचे के साथ-साथ उपभोक्ता और व्यापार के लिये कई अवसर भी प्रस्तुत करता है। इसके उपयोग से उपभोक्ताओं के लिये समय और दूरी जैसी बाधाएँ बहुत मायने नहीं रखती हैं। ई-कॉमर्स के ज़रिये सामान सीधे उपभोक्ता को प्राप्त होता है। इससे बिचौलियों की भूमिका तो समाप्त होती ही है, सामान भी सस्ता मिलता है। इससे बाज़ार में भी प्रतिस्पर्द्धा बनी रहती है और ग्राहक बाज़ार में उपलब्ध सामानों की तुलना भी कर पाता है जिसके कारण ग्राहकों को उच्च गुणवत्ता वाला सामान मिल पाता है।
भारत में अधिकतर लोग सामान खरीदने के लिए ई-कॉमर्स प्लेटफार्म का इस्तेमाल कर रहे हैं। मोबाइल फ़ोन्स और इंटरनेट डाटा में हो रहे निरंतर विकास से भारत में ई-कॉमर्स इंडस्ट्री बढ़ती जा रही है, यही कारण है कि आज ई-कॉमर्स से जुड़े कई सारे नए नए ऐप्स मार्केट में आ गए हैं। भारत का ऑनलाइन कॉमर्स सेक्टर 2020 में 30 बिलियन डॉलर के आधार से शुरू होकर दशक के अंत तक 2030 में 300 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो देश में 1 ट्रिलियन डॉलर के डिजिटल अवसर में महत्वपूर्ण योगदान होगा। आज भारत ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करने में दुनिया में छठे नंबर पर आता है। भारत में ई-कॉमर्स तेजी से लोगों के बीच लोकप्रिय हो रहा है। आज शहरी ही नहीं ग्रामीण क्षेत्रों में भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल किया जा रहा है।
ई कामर्स व्यवसाय खुदरा विक्रेताओं और ग्राहकों को संभावित प्रतिस्पर्धात्मक लाभ प्रदान करता है। आज के समय में, जब ज्यादातर लोग ऑनलाइन शॉपिंग का सहारा ले रहे हैं, ईकामर्स की वर्तमान स्थिति बेहद सकारात्मक दिखती है क्योंकि अधिक लोग जाते हैं अपने ईकामर्स स्टोर के साथ ऑनलाइन, और यह आने वाले वर्षों में अपने चरम पर होने की उम्मीद है। ऑनलाइन सेल में सामान सस्ता जरूर मिल रहा है मगर उपभोक्ता को सावधानी रखनी पड़ेगी क्योकि ठगी करने वाले गिरोह भी सक्रीय हो गए है। जो भोले भले लोगों को सस्ते माल के चक्कर में फंसा कर अपना उल्लू सीधा कर रहे है। अधिकृत प्लेटफॉर्म का उपयोग करें। बैंक स्टेटमेंट और पासवर्ड सुरक्षा सुनिश्चित करें। कैश ऑन डिलीवरी अपनाएँ और फर्जी ऑफर्स से बचें। ऐसे में लोगों ने सतर्कता नहीं रखी तो सस्ते में माल खरीदना महंगा भी पड़ सकता है।

-बाल मुकुन्द ओझा

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