जोधपुर : सत्य के खोजी को धूल के कण से भी अधिक विनम्र होना चाहिये: पद्मश्री शीन काफ़ निज़ाम

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जोधपुर । ‘अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस‘ और ‘सेवा पर्व पखवाड़ा‘ के अंतर्गत गांधी जयंती के अवसर पर उम्मेद उद्यान स्थित जोधपुर वृत्ताधीन सरदार राजकीय संग्रहालय में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के जीवन वृत्त को दर्शाती छाया चित्र प्रदर्शनी का आयोजन पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग द्वारा किया गया। इस एक दिवसीय ऐतिहासिक प्रदर्शनी का उद्घाटन गुरूवार को अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त शाइर, चिंतक पद्मश्री शीन काफ़ निज़ाम के करकमलों से उनके मुख्य आतिथ्य में सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर सादा समारोह में प्रदर्शनी अवलोकनार्थ आये छात्र छात्राओं को संबोधित करते हुए निजाम ने बच्चों को सफाई और सच की महत्ता बताते हुए अपने विचार यूं व्यक्त किये कि गांधी चिंतन के परिप्रेक्ष्य में ‘ईश्वर सत्य है‘ से ‘सत्य ही ईश्वर है‘ तक का सफ़र है, ‘सत्य के खोजी को धूल के कण से भी अधिक विनम्र होना चाहिये‘। महात्मा गांधी से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकारी देते हुए उन्होने ने बताया कि बापू को पहली बार ‘महात्मा‘ किसने कहा यह बहस तलब है किसी ने कहा 1908 में डॉ. प्राणजीवन मेहता ने गोपालकृष्ण गोखले को लिखे पत्र में उन्हें ‘महात्मा‘ लिखा लेकिन यह बात सही है कि ‘महात्मा‘ को प्रसिद्धी रवीन्द्रनाथ ठाकुर के कारण मिली जिनको बापू ने ‘गुरूदेव‘ कहा। आगे निजाम ने बताया कि 1915 में अंग्रेज़ सरकार ने उन्हें ‘‘कैसरे-हिंद‘‘ की उपाधि दी जिसे उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के बाद 1 अगस्त 1920 वापस लौटा दी। एक अन्य रोचक जानकारी यह भी दी कि क़बाइली लोग महात्मा गांधी को ‘मलंग बाबा‘ कहते थे। आरंभ में पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग जोधपुर वृत के अधीक्षक अधीक्षक इमरान अली ने साफा एवं माला द्वारा एवं सरदार राजकीय संग्रहालय जोधपुर की संग्रहाध्यक्ष डॉ.सुरभि ने बुके द्वारा मुख्य अतिथि पद्मश्री शीन काफ निजाम का स्वागत किया इसके बाद मुख्य अतिथि निजाम ने महात्मा गांधी के चित्र के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित किया और फीता खोल कर 100 छाया चित्रों से सजी गांधी प्रदर्शनी का विधिवत उद्घाटन किया। तदुपरांत निज़ाम ने गांधी प्रदर्शनी के समस्त छाया चित्रों को बारीकी से देखते हुए कई अहम जानकारियां साझा कीं। संग्रहालय की ‘विज़ीटर्स बुक‘ में निज़ाम ने दिन को यादगार बनाने के लिये संग्रहालय का आभार प्रकट किया और हर गांधी जयंती पर गांधी-वार्ता के आयोजन का सुझाव दिया ताकि गांधी के विभिन्न आयाम अवाम के सामने आ सकें। इस मौक़े पर शाइर और उर्दू व्याख्याता डॉ.इश्राक़ुल इस्लाम माहिर ने भी विद्यार्थियों और उपस्थित जन के समक्ष बतौर कार्यक्रम समन्वयक अपने उद्गार साझा किये कार्यक्रम में संग्रहालय के प्रशासनिक अधिकारी महेंद्र सांखला, अतिरिक्त प्रशासनिक अधिकारी शरद बिस्सा, सहायक प्रशासनिक अधिकारी पप्पू सिंह, वरिष्ठ सहायक गिरीश मोहन मूले, कनिष्ठ सहायक विजय कविया सहित नूरी इंटरनेशनल स्कूल के निदेशक मुहम्मद सिराज नूरी भी मौजूद रहे। अंत में संग्रहालय अधीक्षक और संग्रहाध्यक्ष ने सरदार राजकीय संग्रहालय जोधपुर की ओर से शीन काफ़ निज़ाम के शुभागमन को स्मरणीय उपलब्धि मानते हुए ‘प्रशस्ति पत्र‘ भेंट किया।

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