मंगला गौरी व्रत भगवान शिव और मां पार्वती को समर्पित होता है। यह व्रत वैवाहिक सुख और मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए रखा जाता है। बता दें कि मंगला गौरी व्रत के दौरान इसकी कथा का पाठ करना महत्वपूर्ण माना जाता है। माना जाता है कि यह व्रत करने वाले जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। ऐसे में जो भी लोग मंगला गौरी व्रत करते हैं, उन लोगों को इसकी व्रत कथा का पाठ जरूर करना चाहिए। वहीं इस व्रत को करने वाली महिलाओं को अखंड सौभाग्यवती का वरदान प्राप्त होता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको यहां पर मंगला गौरी व्रत कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।
मंगला गौरी व्रत कथा
एक समय की बात है कि शहर में धर्मपाल नामक एक व्यापारी रहा करता था। धर्मपाल की पत्नी बहुत ज्यादा खूबसूरत थी और उसके पास काफी ज्यादा संपत्ति थी। लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। जिस कारण वह काफी ज्यादा दुखी रहा करते थे। हालांकि भगवान की कृपा से उनको एक पुत्र की प्राप्ति हुई, जिसका नाम सोमप्रकाश रखा लेकिन वह अल्पायु था। क्योंकि उनके पुत्र को यह श्राप मिला था कि 16 साल की आयु में सांप काटने से बच्चें की मौत हो जाएगी। संयोगवश धर्मपाल के बेटे सोमप्रकाश की शादी 16 साल की उम्र से पहले सुमति नामक युवती से हुई। सुमति की मां मंगला गौरी व्रत करती थी और उसने अपनी बेटी सुमति को भी यह व्रत करना सिखाया। शादी के बाद सुमति ने पूरी श्रद्धा और विश्वास से मंगला गौरी का व्रत किया और मां पार्वती से अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। माता मंगला गौरी सुमति की भक्ति से प्रसन्न हुईं और सोमप्रकाश की अकाल मृत्यु को टाल दिया। ऐसे में माता मंगला की कृपा से सोमप्रकाश दीर्घायु और स्वस्थ जीवन जीने लगा। साथ ही सुमति की भक्ति और व्रत के प्रभाव से उनका वैवाहिक जीवन भी सुखी रहा। इस व्रत के प्रभाव से सोमप्रकाश की आयु 100 साल हुई। जो भी नवविवाहित महिलाएं मंगला गौरी व्रत करती हैं और पूरे श्रद्धा और विश्वास से पूजा करती हैं। उनका वैवाहिक जीवन सुखमय होता है और हर मनोकामना पूरी होती हैं।