तेहरान। ईरान ने चीन, रूस, वेनेज़ुएला, निकारागुआ और बेलारूस के साथ मिलकर अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए)के सामने एक प्रस्ताव का मसाैदा प्रस्तुत किया है जिसमें एजेंसी के सरंक्षण में आने वाले परमाणु स्थलों और प्रतिष्ठानों पर सभी प्रकार के हमलों या हमले की धमकियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का आह्वान किया गया है।
ईरानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एस्माईल बाकेई ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर इस कदम की घोषणा की। उन्होंने कहा कि यह पहल अंतर्राष्ट्रीय कानून की बाध्यता बनाए रखने और परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) की प्रासंगिकता को कायम रखने के लिए एक आवश्यक कदम है।
उन्होंने कहा कि आईएईए के सरंक्षण वाले परमाणु स्थलों और प्रतिष्ठानों पर सभी प्रकार के हमलों और हमले की धमकियों पर प्रतिबंध” शीर्षक वाला यह प्रस्ताव इस बात पर ज़ोर देता है कि सभी देशों को शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परमाणु ऊर्जा विकसित करने का अधिकार है। यह इस बात पर भी ज़ोर देता है कि देश अपनी संरक्षित प्रतिष्ठानों पर किसी भी हमले या हमले की धमकी के विरुद्ध प्रभावी गारंटी के हकदार हैं।
मसौदा इस बात की भी पुष्टि करता है कि राष्ट्रों को अन्य देशों में शांतिपूर्ण परमाणु प्रतिष्ठानों पर हमला करने या उन्हें धमकी देने से बचना चाहिए। प्रस्ताव यह सुनिश्चित करने की एजेंसी की ज़िम्मेदारी पर प्रकाश डालता है कि परमाणु गतिविधियाँ किसी भी प्रकार के व्यवधान से मुक्त रहें।
प्रवक्ता ने कहा “इन सिद्धांतों को कायम रखा जाना चाहिए।” उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से वैश्विक सुरक्षा और परमाणु शासन में “अराजकता के सामान्यीकरण” को रोकने के लिए दृढ़ता से काम करने का आग्रह किया। प्रस्तावित प्रस्ताव परमाणु प्रतिष्ठानों पर सशस्त्र हमलों को प्रतिबंधित करने वाले संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और एजेंसी के पिछले निर्णयों की याद दिलाता है।
इसमें चेतावनी दी गई है कि इस तरह की कार्रवाइयाँ संयुक्त राष्ट्र घोषणापत्र और अंतर्राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करने के साथ ही मानव स्वास्थ्य, पर्यावरण और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के लिए गंभीर जोखिम भी पैदा करती हैं।
यह पहल जून 2025 में ईरानी परमाणु प्रतिष्ठानों पर होने वाले हमलों के मद्देनजर की गई है जिसकी तेहरान ने गैरकानूनी और अस्थिर करने वाली बताकर निंदा की थी।
गौरतलब है कि 13 जून को, इज़रायल की आक्रामक सैन्य कार्रवाई में ईरान के परमाणु प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया गया। हमले में उसके कई परमाणु वैज्ञानिकों, वरिष्ठ सैन्य कमांडरों और सैकड़ों नागरिकों की मौत हुई थी। इसके कुछ ही दिनों बाद 22 जून को अमेरिका भी हमलों में शामिल हो गया और उसने ईरान के फोर्डो, नतांज़ और इस्फ़हान परमाणु स्थलों पर बमबारी की। ईरान ने इन हमलों की यह कहते हुए निंदा की थी कि ये हमले अंतर्राष्ट्रीय कानून, एनपीटी और आईएईए सुरक्षा समझौतों का स्पष्ट उल्लंघन है।