नई दिल्ली। हर साल विश्वकर्मा पूजा भक्त पूर्ण भक्ति के साथ मनाते हैं। यह दिन भगवान विश्वकर्मा को समर्पित है, जिन्हें देवताओं का वास्तुकार और इंजीनियर माना जाता है। इस दिन कारीगर, शिल्पकार और व्यवसायी अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं, ताकि उनके कारोबार में तरक्की हो और उन्हें सफलता मिले।
विश्वकर्मा पूजा के दिन (Vishwakarma Puja 2025) एक विशेष कथा का पाठ करने से जीवन में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं, तो आइए यहां पढ़ते हैं।
विश्वकर्मा पूजा कथा
सृष्टि की शुरुआत में, जब कुछ भी नहीं था, तब भगवान विष्णु प्रकट हुए। उनकी नाभि से एक विशाल कमल निकला, और उस कमल से ब्रह्मा जी का जन्म हुआ। ब्रह्मा जी को सृष्टि का रचयिता माना जाता है। ब्रह्मा जी के कई पुत्र थे, जिनमें से एक का नाम वास्तुदेव था। वास्तुदेव को वास्तुकला और शिल्पकला का ज्ञान था। वास्तुदेव का विवाह धर्म की ‘वस्तु’ नामक स्त्री से हुआ था। इन दोनों के सातवें पुत्र के रूप में ऋषि विश्वकर्मा का जन्म हुआ। अपने पिता वास्तुदेव से उन्हें वास्तुकला का ज्ञान मिला और वह इस विद्या के महान आचार्य बन गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान विश्वकर्मा को ब्रह्मांड का सबसे बड़ा शिल्पकार और वास्तुकार कहा जाता है। उन्होंने अपनी अद्भुत कला से कई दिव्य और महान चीजों का निर्माण किया। कहते हैं कि विश्वकर्मा जी ने ही भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगरी, द्वारका नगरी और सोने की लंका का निर्माण किया था। इसी कारण उन्हें शिल्पकारों का देवता माना जाता है। कहते हैं विश्वकर्मा जी की उपासना करने से सभी इच्छाओं की पूर्ति होती और कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है।