जयपुर। अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग श्री आनंद कुमार ने कहा कि ओज़ोन परत हमें सूर्य की हानिकारक पराबैंगनी (यूवी) विकिरणों से बचाती है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष की थीम “विज्ञान से वैश्विक कार्रवाई तक” यह दर्शाती है कि कैसे विज्ञान की चेतावनियों को हमने वैश्विक नीतियों और ठोस प्रयासों में परिवर्तित किया है। श्री कुमार ने कहा कि ओज़ोन परत की रक्षा केवल वैज्ञानिकों की नहीं हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग श्री आनंद कुमार मंगलवार को विश्व ओज़ोन दिवस के अवसर पर आरआईसी, जयपुर में आयोजित राज्यस्तरीय समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि ओज़ोन परत में क्लोरोफ्लोरोकार्बन्स जैसी गैसों से हो रहे क्षरण को देखते हुए 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल लाया गया, जिसके तहत दुनिया ने मिलकर ओज़ोन को नुकसान पहुंचाने वाली रसायनों को चरणबद्ध रूप से खत्म करने का संकल्प लिया।
पर्यावरणीय और सामाजिक-आर्थिक लाभ प्रदान कर रहा इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान—
श्री कुमार ने कहा कि भारत सरकार ने पर्यावरणीय संरक्षण की कड़ी में मार्च 2019 में
इंडिया कूलिंग एक्शन प्लान की शुरुआत की। यह दुनिया की पहली योजना है जो शीतलन आवश्यकताओं को ऊर्जा दक्षता, ओजोन परत की सुरक्षा और जलवायु नीति से जोडती है। उन्होंने बताया कि इसके तहत शीतलता के लिये उपलब्ध तकनीकों की पहचान के साथ ही वैकल्पिक तकनीकों, अप्रत्यक्ष उपायों और अलग प्रकार की तकनीकों की पहचान की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य 2037-38 तक रेफ्रिजरेंट की माँग को 20 से 30 प्रतिशत तक घटाना तथा एक लाख से अधिक तकनीशियनों को प्रशिक्षण एवं प्रमाणन प्रदान करना है।
भारत के “पंचामृत” से होगा पर्यावरण का संरक्षण—
अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने बताया कि भारत ने कोप- 26 में पांच बड़े संकल्प लिए है, इसे पंचामृत कहा गया है। इसके तहत वर्ष 2030 तक पांच प्रतिबद्धताओं की क्रियान्विति के लिए कदम उठाए जा रहे है। यह पांच प्रतिबद्धताएं है- सौ गीगावॉट नॉन-फॉसिल ईंधन उत्पादन क्षमता को प्राप्त करना, अपनी ऊर्जा ज़रूरतों का लगभग पचास प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा से पूरा करना, कार्बन उत्सर्जन में लगभग एक अरब टन तक की कमी लाना, कार्बन इंटेंसिटी में लगभग पैंतालीस प्रतिशत की कमी करना व वर्ष 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करना।
जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव ला रहा “मिशन लाइफ”—
श्री कुमार ने कहा कि केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा शुरू “मिशन लाइफ” अभियान एक स्थायी और पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली को बढ़ावा दे रहा है। उन्होंने कहा कि यह एक वैश्विक जन आंदोलन है जो व्यक्तिगत और सामूहिक जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाने का आह्वान करता है। इसके अंतर्गत प्रो प्लैनेट पीपल जैसे नेटवर्क बनाने की पहल की गई है जिससे लोग जागरूक हो, अपने व्यवहारों में परिवर्तन करें और दूसरों को भी प्रेरित करें।
हरियाळो राजस्थान महाभियान के तहत रिकॉर्ड 11 करोड़ से अधिक पौधारोपण—
प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्री पवन कुमार उपाध्याय ने कहा कि ओज़ोन परत का बड़ा महत्व है। यह समताप मंडल में स्थित एक अदृश्य ढाल है जो हानिकारक यूवी विकिरणों को अवशोषित कर देती है, जिसके कारण ही पृथ्वी पर जीवन संभव है। उन्होंने कहा कि इसका संरक्षण करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। अपने जीवन में छोटे- छोटे बदलाव लाकर तथा ओज़ोन डिप्लीटिंग तत्वों का इस्तेमाल कम करके हम इसमें योगदान दे सकते है। श्री उपाध्याय ने बताया कि राज्य सरकार ने इस बार हरियाळो राजस्थान महाभियान के तहत 11 करोड़ से अधिक पौधारोपण किया है।
मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के 35 साल बाद अब दिखने लगा है असर, हील हो रही ओज़ोन परत—
राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के अध्यक्ष डॉ रवि कुमार सुरपुर के अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि ओज़ोन परत का क्षरण एक वैश्विक समस्या है। जब 1980 में वैज्ञानिकों द्वारा ओज़ोन परत पर अध्ययन किया गया तब पता चला कि अंटार्टिका में परत पर बहुत बड़ा छेद है। इसके बाद संयुक्त राष्ट्र में एकत्रित होकर 16 सितंबर 1987 को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल लाया गया। उसके बाद से प्रतिवर्ष 16 सितंबर को लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से विश्व ओज़ोन दिवस मनाया जाता है। डॉ. सुरपुर ने बताया कि वैश्विक सामूहिक प्रयासों की बदौलत अब 35 साल बाद ओज़ोन परत लगभग हील हो चुकी है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी भारत में ग्रीन जॉब्स को बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। यह भारत की जलवायु परिवर्तन रणनीति में एक ऐसा अवसर है, जिससे देश न केवल आर्थिक विकास कर सकेगा, बल्कि पर्यावरण को भी संरक्षित रख सकेगा। इस दौरान अतिरिक्त मुख्य सचिव, वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग श्री आनंद कुमार ने प्रदर्शनी का उद्घाटन कर अवलोकन किया। समारोह में जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली के प्रोफेसर सुदेश यादव ने “ओज़ोन और पृथ्वी पर जीवन” तथा राजस्थान विश्वविद्यालय के सेवानिवृत विभागाध्यक्ष डॉ रमेश अरोड़ा ने जीवन के सबक पर अपने व्याख्यान दिए। इस दौरान जलवायु संकट को दर्शाते हुए तान्या सक्सेना और ग्रुप ने क्लासिकल नृत्य की प्रस्तुति दी। राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल के सदस्य सचिव श्री एस पी सिंह ने उपस्थित जन का धन्यवाद ज्ञापित किया। समारोह में पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के शासन सचिव श्री विजय एन, राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल व पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारीगण, कर्मचारीगण, उद्योगों के प्रतिनिधिगण, विभिन्न कॉलेजों के विद्यार्थी सहित जन सामान्य मौजूद रहे।