नेपाल में जो उग्र आंदोलन हुआ उसमें जनरेशन जेड की बहुत बड़ी भूमिका रही है। हालांकि इसने भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया पर लगाए गए प्रतिबंध को लेकर जो आंदोलन किया था वह काफी हिंसक हो गया था। आंदोलन के उग्र और हिंसक रूप को देखकर लग रहा था उसके पीछे किसी और का हाथ है। इसने आंदोलन जरूर किया पर कुछ ही पलों में पूरा आंदोलन हाईजैक हो गया वरना इतना उग्र हिंसक प्रदर्शन हो ही नहीं सकता कि जिस मकसद को लेकर आंदोलन करना था उसे कोई सच्चा नेपाली चाहे वह किसी भी जनरेशन का हो राष्ट्र की संपत्ति को नुकसान पहुंचा ही नहीं सकता था, यहां तक कि सपने में भी ऐसा नहीं सोच सकता।
जिस मकसद से जिन्होंने आंदोलन करवाया उसमें मोहरा जनरेशन जेड को बनाया गया या उसके साफ-सुथरे आंदोलन में भी वे लोग घुसे हैं तो भी उनका मकसद यही था ताकि वे अपने मंसूबों में सफल हो सकें। नेपाल के संसद भवन जलाया गया, सुप्रीम कोर्ट को जलाया गया, पुलिस थानों में आग लगाई गई, कैदियों को भगाया गया, क्यों? क्योंकि भ्रष्टाचारियों, बेईमानों और अपराधियों के सबूत नष्ट किए जा सकें। गड़बड़ी चाहने वालों ने भरसक प्रयास किया मगर पूर्ण सफलता नहीं मिली। भ्रष्टाचारियों और अपराधियों को बचाने वाले हों, नेपाल को अस्थिर करने वाले हों या नेपाल के माध्यम से अपने मंसूबे पूरे करने वाली विदेशी शक्तियां हों अपने मकसद को पूरा करने के लिए जनरेशन जेड (किशोर और युवा वर्ग) को आगे कर दिया।
इस आंदोलन के माध्यम से जनरेशन जेड को बदनाम करने का प्रयास किया गया। जनरेशन जेड करती भी क्या? हालांकि वह इंटरनेट और सोशल मीडिया का काफी अनुभव रखती है मगर ऐसी विकट परिस्थितियों के लिए ना उसके पास इतना तेज दिमाग था न उसमें परिपक्वता थी, न धरातलीय स्थितियों परिस्थितियों का ज्ञान था, न उसे सियासी दांवपेंच आते थे, न शातिराना चालें चलने वाला दीमाग था, न अकस्मात पैदा हुई परिस्थितियों के अनुसार अकस्मात निर्णय लेने की क्षमता थी और न उन्हें गाइडेंस करने वाला सशक्त नेतृत्व था। कहा तो यहां तक जा रहा है कि यह किसी राजनीतिक दल या संगठन से जुड़ी हुई भी नहीं थी और न इसका कोई सर्वमान्य नेता था। हिंसा और आगजनी होने के बाद जब स्थिति विस्फोटक बन गई तब यह कहा जाने लगा कि यह जनरेशन जेड का काम नहीं है, इसमें उपद्रवी घुस आए, विरोधियों ने आंदोलन को हाईजैक कर लिया।
जब प्रधानमंत्री सहित सभी मंत्री इस्तीफा दे चुके थे तो आंदोलन शांत हो जाना चाहिए था और नेपाल में कैसे सुशासन स्थापित हो इस पर वार्ता होनी चाहिए थी मगर उपद्रवी राष्ट्र की बहुमूल्य संपत्तियों को आग के हवाले करने पर तुले हुए थे। जगह-जगह तोड़ फोड़ हो रही थी, लूटपाट मची हुई थी। अराजकता चरम पर थी। हालांकि बाद में सेना ने देश की कमान अपने हाथ में ली और पूरे देश में कर्फ्यू लगा दिया। अंतरिम प्रधानमंत्री के नाम पर दो दिनों तक चर्चा चली। यहां फिर एकजूटता की कमी दिखने लगी। सत्ता का खेल हावी हो गया, नाम पर सहमति नहीं बनी या लोगों की मानसिकता कुछ और ही थी पता नहीं पर अंततः श्रीमती सुशीला कार्की को देश की बागडोर सौंपी गई।
जैसा अंदेशा था कि सत्ता प्राप्ति के लिए धुरंधर कुछ भी कर सकते हैं वही हुआ। कहते हैं सत्ता का लालच बहुत बुरा होता है। आंदोलन से पहले और आंदोलन के दौरान जो जनरेशन जेड मात्र शुद्ध और एकीकृत जनरेशन जेड थी पर सरकार बनाने की वार्ता चलते ही वह धड़ों में बंट गई। माना कि राजनीतिक दल होते तो अपनी-अपनी विचारधारा पर बंटे रहते मगर जो एकीकृत जनरेशन जेड थी वो धड़ों में क्यों बंटी? उन्हें तो ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना रखते हुए सहर्ष अंतरिम सरकार का गठन करवाना था ताकि जल्द ही लोकतंत्र की बहाली की प्रक्रिया शुरू हो और देश में स्वस्थ, निष्पक्ष चुनाव हों और ईमानदार कुशल नेतृत्व चुनकर आए और देश की बागडोर संभाले। यहां तो वे लोग भी हावी हो गए जिन राजनीतिक दलों और जिनके नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे। जनरेशन जेड को सोचना चाहिए था यह तो अंतरिम सरकार बन रही है अंतिम नहीं, ऐसे में जब चुनाव होंगे तो हमें अपनी असली भूमिका निभानी है। यदि जनरेशन जेड अभी से धड़ों में बंट गई तो उसका मूल उद्देश्य ही विफल हो जाएगा। उसे अभी किसी पर भी आंख मूंदकर विश्वास नहीं करना चाहिए बल्कि उसे तो विवेक पूर्वक सोच समझ कर, विचार कर कदम उठाने होंगे। जिस भी व्यक्ति को वो पसंद करती है, समर्थन करती है उसको भी चुनाव में उम्मीदवार बनाने से पूर्व परखना होगा। उस पर भ्रष्टाचार का कोई केस तो नहीं है? उसका जीवन अंश मात्र भी दागदार तो नहीं है? उसकी कथनी और करनी में कितनी समानता है? राष्ट्र के विकास का उसके पास क्या विजन है? आदि बातों का बारीकी से अध्ययन करना होगा। शातिर लोगों की चालें समझनी होगी, उनके षडयंत्रों को समझना होगा। जनरेशन जेड को सफल होना है तो उसे सतर्क रहना होगा। उसे हर निर्णय देख परख कर, नापतोल कर लेने होंगे। नेपाल के पिछड़ने का जहां भ्रष्टाचार मुख्य कारण है वहीं अहम् कारण अस्थाई सरकारों का होना भी है। अस्थाई सरकारों से देश भी अस्थिर हो जाता है। नेपाल के विकास के लिए स्थाई सरकार की जरूरत है। उद्देश्य को सफल बनाने के लिए ठोस और प्रभावी रणनीति बनाने पर ध्यान देना होगा ताकि राष्ट्र की बागडोर सक्षम, ईमानदार, कुशल लोगों के हाथों में सौंपी जा सके और राष्ट्र अपना खोया हुआ वैभव पुनः प्राप्त करे, राष्ट्र में शांति की स्थापना हो, भ्रष्टाचार रहित चहुंमुखी विकास करे। जनरेशन जेड युवा शक्ति है तो उसे अपनी शक्ति देश को मजबूत बनाने में लगानी होगी। सकारात्मक शक्ति, सकारात्मक सोच और सकारात्मक निर्णय से ही सकारात्मक विकास संभव है।
-अशोक बैद