जोधपुर। भाषा केवल संवाद का माध्यम ही नहीं बल्कि यह सामाजिकता और चरित्र का परिचायक होती है । जीवन के संदर्भों की क्लिष्टता के कारण हिन्दी व्यवहार से दूर होती गई है, इसे पुनर्स्थापित करने के लिए हिन्दी को मन, प्राण और वाक् से व्यवहार में लाना होगा, ये शब्द हिन्दी विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. रेणु शाह ने राजस्थान साहित्य अकादमी, उदयपुर एवं महिलाओं की साहित्यिक संस्था सम्भावना के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हिन्दी दिवस पर *हिन्दी भाषा और समाज* विषय पर संगोष्ठी में अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहे । उन्होंने हिन्दी भाषा को गंगा-यमुनी संस्कृति वाले देश में राष्ट्रीय एकता का माध्यम भी बताया । कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रख्यात कथाकार एवं आलोचक डॉ. हरिदास व्यास ने हिन्दी को आगे बढ़ाने के लिए इसे जातीय चेतना के साथ जोड़ने की बात कही । उन्होंने संप्रेषण के माध्यम से लिखने के साथ कही जाने वाली भाषा के रूप में हिन्दी को सामाजिक एवं पारिवारिक मूल्यों के साथ एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में हस्तांतरित करने करने पर जोर डाला । कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ. सुमन बिस्सा ने हिन्दी को राजभाषा घोषित किए जाने की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए इसकी स्थिति एवं महत्व को विस्तार से बताया । सम्भावना की सचिव डॉ. अंजना चौधरी ने अतिथियों का स्वागत किया तथा अध्यक्ष डॉ बसंती पंवार ने हिंदी दिवस के महत्व को दर्शाते हुए धन्यवाद ज्ञापित किया । डॉक्टर मदन-सावित्री डागा साहित्य भवन, नेहरू पार्क जोधपुर में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रो. कौशल नाथ उपाध्याय, मिठेश निर्मोही, खेमकरण लालस, मोहनसिंह रतनू, प्रमोद वैष्णव, डाँ.चांद कौर जोशी, डॉ मनीषा डागा, अमिता भंडारी, रेणु वर्मा, नीना छिब्बर, सुषमा चौहान, डा. रेणुका श्रीवास्तव सहित जोधपुर के जाने-माने साहित्यकार भाषाविद् एवं हिन्दी प्रेमी बड़ी संख्या में उपस्थित थे । कार्यक्रम का संचालन डॉ. सूरज माहेश्वरी ने किया ।

जोधपुर : हिन्दी को प्राण ,मन और वाक् से व्यवहार में लाना होगा : प्रो. शाह
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