राजस्थान में जबरन धर्मांतरण पर होगी कठोर कार्रवाई, आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान
जयपुर। राजस्थान विधानसभा में मंगलवार को राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2025 पारित किया गया। विधेयक के पारित होने के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही 10 सितंबर तक के लिए स्थगित कर की। विधेयक पर हुई चर्चा में विपक्ष ने भाग नहीं लिया और कांग्रेस के विधायक सदन में विरोध-प्रदर्शन करते रहे। इसके बावजूद सदन ने बहुमत से विधेयक को पारित कर दिया। विधेयक में धर्मांतरण की रोकथाम के लिए कठोर प्रावधान किए गए हैं। इसमें यह व्यवस्था की गई है कि यदि कोई संस्था या संगठन अवैध तरीके से धर्म परिवर्तन कराता है, तो संबंधित भवन को प्रशासन जांच के उपरांत सील अथवा ध्वस्त कर सकेगा, विशेषकर तब जब वह भवन अतिक्रमण पर निर्मित हो अथवा नियमों का उल्लंघन करता पाया जाए। इसी प्रकार यदि किसी स्थल पर सामूहिक धर्म परिवर्तन संपन्न होता है, तो उस संपत्ति को जब्त अथवा ध्वस्त करने का अधिकार भी प्रशासन को होगा। विवाह को धर्म परिवर्तन के उद्देश्य से संपन्न करने की स्थिति को भी इस विधेयक में धर्मांतरण की परिभाषा में सम्मिलित किया गया है। यदि कोई व्यक्ति बहलाकर, फुसलाकर, मिथ्या वादे या झूठी जानकारी देकर विवाह करता है और उस प्रक्रिया में धर्म परिवर्तन कराता है, तो ऐसी स्थिति में वह विवाह न्यायालय द्वारा शून्य घोषित किया जा सकेगा। विधेयक में जबरन धर्मांतरण पर कठोर दंड का प्रावधान है। सामान्य परिस्थितियों में दोषी पाए जाने पर न्यूनतम सात वर्ष से लेकर अधिकतम चौदह वर्ष तक का कारावास और पांच लाख रुपये तक का आर्थिक दंड लगाया जा सकेगा। वहीं, नाबालिग, महिला, दिव्यांगजन या अनुसूचित जाति/जनजाति के व्यक्तियों का जबरन धर्म परिवर्तन कराने पर दोषी को न्यूनतम दस वर्ष और अधिकतम बीस वर्ष तक का कारावास तथा दस लाख रुपये तक का दंड भुगतना होगा। गंभीर परिस्थितियों में दोषी को आजीवन कारावास भी दिया जा सकेगा। विधेयक में यह स्पष्ट किया गया है कि मूल पैतृक धर्म में वापसी को धर्मांतरण की परिभाषा में शामिल नहीं किया जाएगा।

जयपुर: विधानसभा में राजस्थान विधिविरुद्ध धर्म-संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक, 2025 पारित
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