श्राद्ध के लिए ये हैं भारत के 7 सबसे पवित्र स्थान, मिलेगा अनंत पुण्य

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श्राद्ध सिर्फ एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं बल्कि यह हमारे पूर्वजों की याद, सम्मान और आभार जताने का एक तरीका है। यह एक पवित्र समय है, जब हम पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको याद करते हैं। इस दौरान पिंडदान, तर्पण और दान जैसी क्रियाएं की जाती हैं। हिंदू धर्म की मान्यताओं के मुताबिक अश्विन माह के कृष्ण पक्ष में किया गया श्राद्ध पूजन सीधा हमारे पूर्वजों तक पहुंचती है और पितरों को शांति प्रदान करता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए उन जगहों के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां पर किया गया श्राद्ध पितरों को संतोष, सुख और मुक्ति का माध्यम बनता है।

गया, बिहार
गया को लेकर मान्यता है कि यहां पर श्राद्ध पूजन करने से सात पीढ़ियों तक के पितरों को मुक्ति मिलती है। बिहार के गया में फाल्गु नदी के किनारे विष्णुपद मंदिर पर पिंडदान और तर्पण किया जाता है। माना जाता है कि यहां पर भगवान विष्णु के चरणचिन्ह मौजूद हैं। जबकि पौराणिक मान्यता है कि यहां पर सीताजी ने अपने पितरों का पिंडदान किया था। जिस कारण इस जगह को मुक्तिधाम भी कहा जाता है। यहीं कारण है कि हर साल पितृपक्ष के मौके पर लाखों की संख्या में लोग यहां पर आते हैं।

वाराणसी
वाराणसी यानी की काशी को भगवान शिव की नगरी भी कहा जाता है। माना जाता है कि यहां किए गए कर्म सीधे मुक्ति का द्वार खोलते हैं। यहां पर मणिकर्णिका घाट और पिशाचमोचन कुंड पर भी श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। माना जाता है कि काशी में त्रिपिंडी श्राद्ध जरूर करना चाहिए। ऐसा करने से श्राद्ध की आत्मा को शिवलोक तक पहुंचता है।

इलाहाबाद
इलाहाबाद नाम सुनते ही गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम याद आता है। यहां पर कुंभ और अर्धकुंभ का आयोजन होता है। इसके अलावा इलाहाबाद के संगम घाट को पितृ पक्ष के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। यही कारण है कि लोग शुभ तिथियों पर लोग यहां आकर स्नान और पिंडदान करते हैं।

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