काबुल। अफगानिस्तान में रविवार की आधी रात को 11:47 बजे (स्थानीय समयानुसार) 6 तीव्रता का भूकंप आया। इसमें अब तक 800 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 2500 से ज्यादा लोग घायल हैं। भूकंप के समय ज्यादातर लोग सो रहे थे, इस वजह से वे इमारतों के मलबे में दब गए। शहर में रातभर झटके महसूस किए गए। अधिकारियों का कहना है कि मृतकों की संख्या बढ़ सकती है। अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (USGS) के मुताबिक भूकंप 2 लाख की आबादी वाले जलालाबाद शहर से लगभग 17 मील दूर आया। यह राजधानी काबुल से 150 किमी दूर है। NYT की रिपोर्ट के मुताबिक सबसे ज्यादा मौतें पड़ोसी कुनार प्रांत में हुई हैं। इसके बाद सोमवार को 4.6 तीव्रता का भूकंप आया। ये भूकंप जमीन ने 65 किमी नीचे आया। अल जजीरा के मुताबिक भूकंप के झटके पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब प्रांत में भी महसूस हुए। वहीं, भारत के गुरुग्राम में भी हल्के झटके महसूस किए गए। वहीं, पीएम मोदी ने अफगानिस्तान में आए भूकंप में पर दुख जताया है।
भूकंप के बाद लैंडस्लाइड से सड़कें बंद हुई
सबसे ज्यादा मौतें पड़ोसी कुनार प्रांत में हुई हैं। सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने भी सोशल मीडिया पर लिखा कि भूकंप से देश के कुछ पूर्वी प्रांतों में गंभीर जान-माल का नुकसान हुआ है। हालांकि, उन्होंने ज्यादा डिटेल शेयर नहीं किया है। यह पहाड़ी इलाका है। इन इलाकों तक पहुंचना बेहद मुश्किल है, जिससे बचाव और राहत कार्यों में दिक्कत आ रही है। यहां, भूकंप के बाद लैंडस्लाइड हुई, जिससे कई सड़कें बंद हो गई। इन इलाकों में सरकार लोगों को बाहर निकालने के लिए हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर रही है।
2023 में 4 हजार लोग मारे गए थे
इससे पहले अफगानिस्तान में 7 अक्टूबर 2023 को विनाशकारी भूकंप आया था। तालिबान सरकार ने इस भूकंप में 4 हजार मौतों का दावा किया था, जबकि संयुक्त राष्ट्र ने1500 मौतों की पुष्टि की थी। वहीं 2022 में पूर्वी अफगानिस्तान में 5.9 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसमें लगभग 1 हजार लोग मारे गए थे और हजारों लोग घायल हुए थे। अफगानिस्तान में ताकतवर भूकंपों का इतिहास रहा है। भूकंप के लिहाज से हिंदूकुश पर्वतमाला एक्टिव माना जाती है, जहां हर साल भूकंप आते हैं। अफगानिस्तान, भारत और यूरेशियन टेक्टोनिक प्लेट्स के बीच में स्थित है। ये फॉल्ट लाइन अफगानिस्तान के हेरात तक जाती है। प्लेट्स में हलचल होने पर भूकंप आता है।