जयपुर। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि सभी अधिकारी संवेदनशीलता के साथ प्रयास करें कि कोटा-बूंदी जिले में पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि एवं बाढ़ से प्रभावित लोगों को अधिक से अधिक सहायता एसडीआरएफ नॉर्म्स के तहत मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रभावित लोगों को कैसे राहत पहुंचाई जाए, इस दिशा में हर संभव कोशिश की जाए। बिरला ने कहा कि हाल ही में दोनों जिलों में बाढ़ से प्रभावित परिवारों को जन सहयोग के माध्यम से राशन सामग्री, कपड़े, बर्तन, बिस्तर आदि उपलब्ध कराए जाएं ताकि उनका जीवन फिर से सामान्य हो सके। लोकसभा अध्यक्ष मंगलवार को कलेक्ट्रेट सभागार में कोटा-बूंदी लोकसभा क्षेत्र में पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि से प्रभावित लोगों को पहुंचाई जा रही राहत की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि क्षति का सर्वे पूरी संवेदनशीलता के साथ करते हुए अधिक से अधिक लोगों को राहत पहुंचाएं। सभी उपखंड अधिकारी अपने ब्लॉक में पटवारियों को यह निर्देश प्रदान करें कि एसडीआरएफ के तहत मकान की क्षति के लिए मिलने वाली सहायता राशि के आवेदन के समय प्रभावितों से जमीन का पट्टा नहीं मांगा जाए क्योंकि नॉर्म्स के तहत पट्टा मांगने का कोई प्रावधान नहीं है। बिरला ने कहा कि घास-फूस एवं पत्तियों से बनी झोंपड़ी के अलावा जिन घरों की दीवारें बनी हुई थी और छप्पर डला हुआ था उन्हें कच्चे मकान की श्रेणी में सहायता दिलाई जाए। साथ ही, बर्तनों की क्षति के ढ़ाई हजार, कपड़ों की क्षति के ढ़ाई हजार तथा पारम्परिक व्यवसाय करने वाले कारीगरों को औजारों की क्षति के पांच हजार रुपये दिलाने का प्रयास किया जाए ताकि उन्हें अतिरिक्त सहायता मिल सके। प्रयास किए जाएं कि जिनके मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं उन्हें अधिक से अधिक सहायता मिल सके। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि कई स्थानों पर पानी की निकासी बंद होने के कारण पानी गांव एवं बस्तियों में भर गया। इस संबंध में पटवारी, ग्राम सेवक एवं ग्राम पंचायत सदस्यों से रिपोर्ट लेकर जल भराव के कारणों का अध्ययन किया जाए। उन्होंने इस समस्या के समाधान के लिए उपखंड स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में सीएडी, सिंचाई, पीडब्ल्यूडी एवं पंचायती राज विभाग के अधिकारियों को शामिल करते हुए कमेटी गठित करने के निर्देश दिए जो जल भराव के कारणों के बारे में लोगों से चर्चा करें एवं भविष्य में अधिक वर्षा होने की स्थिति में फिर से पानी नहीं भरे इसके उपायों के बारे में सुझाव दे। उन्होंने नगरपालिका एवं नगर निगम क्षेत्र में भी संबंधित विभागों के अधिकारियों की कमेटी बनाकर शहरी क्षेत्र में जल भराव के कारणों एवं भविष्य में पानी की निकासी के लिए वैकल्पिक उपाय सुझाने के संबंध में निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जिन गांवों में जल भराव के बाद मलबा एकत्र हो गया है वहां मनरेगा के तहत श्रमिक लगाकर सफाई करवाई जाए।
फसल खराबे का अधिक से अधिक मुआवजा मिले—
बैठक में कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अतिवृष्टि से कारण सोयाबीन एवं उड़द की फसलों को सर्वाधिक नुकसान हुआ है। बिरला ने लघु एवं सीमान्त कृषकों को एसडीआरएफ के तहत फसल खराबे का अधिक से अधिक का मुआवजा दिलाने, भारी बारिश के कारण सड़कों पर बने गड्ढे भरने का कार्य शीघ्र शुरु करने, ड्रेनेज सिस्टम चेक करने, बाढ़ प्रभावितों को भामाशाहों एवं सामाजिक संस्थाओं की मदद से खाद्य सामग्री एवं अन्य आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने, जहां बिजली व्यवस्था ठप हुई है वहां बिजली सुचारु करने, पीने के पानी की व्यवस्था टैंकरों के माध्यम से करने, जिनके मकान क्षतिग्रस्त हुए हैं उन्हें शीघ्र सहायता राशि दिलाने के लिए पटवारी के माध्यम से जल्दी प्रस्ताव मंगवाने सहित अन्य निर्देश जिला कलक्टर एवं उपखंड अधिकारियों को दिए। उन्होंने किसानों को उर्वरकों के साथ अटैचमेंट दे रहे डीलरों के खिलाफ कार्यवाही करने के भी निर्देश दिए। बैठक में एडीएम सीलिंग कृष्णा शुक्ला अपने प्रस्तुतिकरण में बताया कि पिछले दिनों हुई अतिवृष्टि के दौरान दीगोद तहसील के निमोदा हरि जी एवं डूंगरज्या गांव में जिला प्रशासन द्वारा एनडीआरएफ, एसडीआरएफ टीमों एवं सेना की मदद से 236 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया, पीपल्दा तहसील के आयानी गांव में जल भराव होने पर 50 लोगों को रेस्क्यू किया गया। नगर निगम कोटा द्वारा कोटिल्य नगर एवं देवली अरब से 16 लोगों को रेस्क्यू कर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया। इस दौरान विभिन्न स्थानों पर 12 आश्रय स्थल बनाए गए और प्रभावितों को फूड पैकेट वितरित किए गए। वर्षाजनित हादसों में अभी तक 7 मृतकों के आश्रितों को एसडीआरएफ नॉर्म्स के तहत 4 लाख रुपये प्रति व्यक्ति सहायता राशि उपलब्ध कराई गई, बाकी के प्रकरणों में कार्यवाही जारी है। उन्होंने बताया कि जिले में अतिवृष्टि से 17 कच्चे एवं एक पक्का मकान पूर्ण क्षतिग्रस्त, 8 पक्के एवं 49 कच्चे मकान अधिक क्षतिग्रस्त तथा 12 पक्के एवं 586 कच्चे मकान आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं। इन प्रकरणों में एसडीआरएफ नॉर्म्स के तहत प्रभावितों को सहायता उपलब्ध कराई जाएगी। बैठक में बताया गया कि कोटा जिले में एसडीआरएफ के तहत क्षतिग्रस्त सरकारी परिसंपत्तियों के प्राप्त प्रस्तावों में शिक्षा विभाग के 1033, चिकित्सा विभाग के 154, महिला एवं बाल विकास विभाग के 341, पंचायत समितियों के 82, सीएडी के 67 तथा अन्य विभागों के 11 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। पीडब्ल्यूडी द्वारा 421 क्षतिग्रस्त सड़कों के करीब सवा सात करोड़ रुपये के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। पशुओं को हुई क्षति के लिए नियमानुसार पशुपालकों को सहायता राशि उपलब्ध कराई जाएगी। बूंदी जिला कलक्टर अक्षय गोदारा ने प्रस्तुतिकरण के माध्यम से बताया कि जिले में अतिवृष्टि के कारण 87 गांव प्रभावित हुए, करीब ढाई हजार लोगों को रेस्क्यू कर 37 राहत शिविरों में ठहराया गया। उन्होंने बताया कि एसडीआरएफ नॉर्म्स के तहत सहायता के लिए सार्वजनिक निर्माण विभाग द्वारा 213 क्षतिग्रस्त सड़कों की मरम्मत के करीब 4 करोड़ 90 लाख रुपये के प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। एसडीआरएफ के तहत क्षतिग्रस्त सरकारी परिसंपत्तियों के प्राप्त प्रस्तावों में शिक्षा विभाग के 1254, पंचायती राज विभाग के 183, महिला एवं बाल विकास विभाग के 293 प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं।