ब्रिटेन व्यापार समझौता: भारत के समुद्री खाद्य निर्यात वियतनाम, सिंगापुर से मुकाबला करने को तैयार

ram

नई दिल्ली। ब्रिटेन के साथ एक व्यापक व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर के बाद, भारतीय समुद्री खाद्य निर्यातक ब्रिटेन के बाजार में वियतनाम और सिंगापुर के साथ समान शर्तों पर प्रतिस्पर्धा करने के लिए तैयार हैं। यह समझौता पिछले शुल्क के कारण होने वाले नुकसानों को समाप्त करता है। मत्स्य पालन मंत्रालय ने यह जानकारी दी। यह समझौता भारतीय समुद्री उत्पादों को वियतनाम और सिंगापुर के प्रतिस्पर्धियों के बराबर लाता है, जो पहले से ही क्रमशः ब्रिटेन-वियतनाम मुक्त व्यापार समझौते (यूके-वीएफटीए) और ब्रिटेन-सिंगापुर मुक्त व्यापार समझौते (यूके-एसएफटीए) से लाभान्वित हैं। मंत्रालय के अनुसार, भारतीय निर्यातकों को पहले शुल्क बाधाओं का सामना करना पड़ता था, जिससे उन्हें खासकर झींगा मछली और मूल्यवर्धित समुद्री खाद्य वस्तुओं सहित उच्च मूल्य वाले उत्पादों के लिए प्रतिस्पर्धात्मक रूप से नुकसान होता था। मंत्रालय ने आगे कहा कि इन टैरिफ को समाप्त करने से भारतीय कंपनियों को देश की पर्याप्त उत्पादन क्षमता, कुशल कार्यबल और उन्नत ट्रेसेबिलिटी सिस्टम का लाभ उठाने में मदद मिलेगी ताकि वे ब्रिटेन के समुद्री खाद्य बाजार में बड़ा हिस्सा हासिल कर सकें। यह व्यापार समझौता भारतीय निर्यातकों को ब्रिटेन के बाज़ार में विविधता लाकर अमेरिका और चीन जैसे पारंपरिक बाज़ारों पर अपनी निर्भरता कम करने का अवसर भी प्रदान करता है। मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस व्यापार समझौते के साथ, उद्योग का अनुमान है कि आने वाले वर्षों में ब्रिटेन को समुद्री निर्यात में 70 प्रतिशत की वृद्धि होगी। उद्योग विश्लेषकों ने कहा कि यह समझौता ऐसे उपयुक्त समय पर हुआ है जब वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं का पुनर्गठन किया जा रहा है और देश अपने आयात स्रोतों में विविधता लाने पर विचार कर रहे हैं। वर्ष 2024-25 में भारत का कुल समुद्री खाद्य निर्यात 60,523 करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो 17.8 लाख टन के बराबर है। हालांकि, ब्रिटेन के 5.4 अरब डॉलर के समुद्री खाद्य आयात बाजार में भारत की हिस्सेदारी महज 2.25 प्रतिशत है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *