अप्रेल 2026 पड़ोसी बांग्लादेश में लोकतंत्र की नई सुबह तय है ?

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18 महीनों के अंतराल के बाद, देश अप्रेल 2026 में आम चुनाव की ओर बढ़ रहा है।जब से नोबेल पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने पिछले अगस्त को अंतरिम सरकार का नेतृत्व संभाला है, उन्होंने प्रशासन चलाने में कई अड़चनों का सामना किया है।उनके सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक थी एक स्वतंत्र, निष्पक्ष और विश्वसनीय चुनाव की रूपरेखा घोषित करना, जिससे लोग अपनी इच्छानुसार एक वैध राजनीतिक सरकार चुन सकें। दूसरी चुनौती थी कानून और व्यवस्था की स्थिति को स्थिर करना।अधिकतर पुलिसकर्मी, हजारों छात्रों और प्रदर्शनकारियों की हत्या के प्रतिशोध के डर से, अपनी ड्यूटी छोड़ कर भाग चुके हैं।इस कारण से देश में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस बल अपर्याप्त हो गया है।हालांकि, हर शहर और कस्बे में सेना की तैनाती के द्वारा कानून-व्यवस्था कायम रखने की कोशिश की जा रही है।साथ ही, अवामी लीग के नेताओं के खिलाफ मानवता के खिलाफ अपराधों के लिए मुकदमा चलाने की प्रक्रिया शुरू की गई है, जिनमें पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना भी शामिल हैं।उन पर हजारों प्रदर्शनकारियों पर गोली चलवाने का आरोप है। ज्ञात हो कि पिछले जुलाई-अगस्त में “मानसून क्रांति” नामक रक्तरंजित विरोध प्रदर्शनों के दौरान हसीना को पद छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा और वे भारत में निर्वासन में चली गईं।यह उनका राजनीतिक जीवन में दूसरा निर्वासन है।इस बीच, एक राजनीतिक घटनाक्रम में, बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) के कार्यवाहक अध्यक्ष तारिक रहमान ने लंदन में निर्वासन में रह रहे प्रोफेसर यूनुस से मुलाकात की। एक घंटे की इस बैठक में नई सरकार से जुड़ी कई महत्वपूर्ण राजनीतिक असहमति पर चर्चा हुई।यूनुस ने बार-बार कहा कि चुनाव अगले साल जून से पहले होना चाहिए, लेकिन बीएनपी, जो एक दक्षिणपंथी लोकतांत्रिक पार्टी है, चुनाव दिसंबर के अंत में कराने की मांग कर रही है।बीएनपी का कहना है कि अगर चुनाव दिसंबर तक नहीं हुए तो देश में राजनीतिक और आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकता है, जिससे कानून-व्यवस्था बिगड़ सकती है। यूनुस का मत है कि चुनाव आवश्यक सुधारों पर राजनीतिक पार्टियों की सहमति के बाद ही होने चाहिए।

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