हिंदू धर्म में केदारनाथ धाम का बहुत महत्व माना जाता है। इसको 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक माना गया है। केदारनाथ धाम को भगवान शिव का निवास स्थान भी माना जाता है। धार्मिक पुराणों के मुताबिक महादेव हर समय केदारनाथ धाम में विराजमान रहते हैं। इसलिए हर साल हजारों की संख्या में भक्त केदारनाथ धाम दर्शन के लिए पहुंचते हैं। जो भी भक्त सच्चे मन से केदारनाथ धाम मंदिर में जाता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस पवित्र धाम को लेकर कई कथाएं हैं। लेकिन महाभारत में भी केदारनाथ धाम से जुड़ी एक कथा का उल्लेख मिलता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको बताने जा रहे हैं कि केदारनाथ धाम का निर्माण कैसे हुआ।
श्रीकृष्ण ने बताया था मुक्ति का मार्ग
धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक महाभारत युद्ध में विजय पताका फहराने के बाद हस्तिनापुर के राजा पांडवों के बड़े भाई युधिष्ठिर बने। उन्होंने चार दशकों तक हस्तिनापुर के सिंहासन को संभाला था। एक बार जब श्रीकृष्ण और पांडव महाभारत युद्ध पर चर्चा कर रहे थे, तभी पांडव बोले कि प्रभु हम सभी भाइयों पर अपने ही भाइयों पर हत्या का कलंक है। इस कलंक से मुक्ति कैसे पाएं। तब श्रीकृष्ण ने कहा कि महाभारत में युद्ध में तुम्हारी जीत हुई, लेकिन इसके बाद भी अपने भाइयों को मारने के कारण तुम पाप के भागी बन गए हो। ऐसे में इस पाप से मुक्ति महादेव ही दिला सकते हैं।