पादूकलां। कस्बे में मानसूनी की पहली बारिश के साथ खेतों में लाल मखमली जीव नजर आने लगे हैं। स्थानीय लोग इसे सावन की डोकरी कहते हैं। इसे राम जी की घोड़ी या बीरब्युटी कीड़ा भी कहा जाता है। यह जीव हर साल मानसून में दिखाई देता है। इसका रंग चटक लाल होता है। शरीर मखमल जैसा लगता है। यह जीव बारिश के मौसम में ही नजर आता है। खेतों में बड़ी संख्या में दिखता है। मानो धरती पर लाल मखमल की चादर बिछ गई हो।यह जीव धरती से नमी खींचता है। वैज्ञानिक इसे माइट्स की प्रजाति का मानते हैं। यह इंसानों को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता। बारिश के कुछ ही दिनों बाद यह गायब हो जाता है। सावन की डोकरी को लेकर मान्यता है कि इसके दिखने का मतलब है कि इस बार मानसून अच्छा रहेगा। बुजुर्गों का मानना है कि यह जीव प्रकृति का संकेत देता है। इसे धरती का श्रृंगार भी कहा जाता है।भारत के अलग-अलग हिस्सों में इसे अलग-अलग नामों से जाना जाता है। कहीं इसे बूढ़ी नानी कहा जाता है। कहीं राम जी की घोड़ी। राजस्थान में इसे सावन की डोकरी कहा जाता है। माना जाता है कि जब यह जीव बाहर आता है तो यह अच्छे मौसम का संकेत होता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले यह जीव बड़ी संख्या में दिखता था। अब खेतों में केमिकल के इस्तेमाल से इसकी संख्या कम हो गई है। सावन की डोकरी को श्रृंगार का प्रतीक भी माना गया है। कुछ चिकित्सा पद्धतियों में भी इसका महत्व बताया गया है। एक बुजुर्ग ने कहा, “बूंदों के साथ बरसे जब खिलते रंग गुलाल, अजब है ये डोकरी गज़ब करती, चलती एक बार मिलती फिर ये फिसलती।” सावन की डोकरी को लेकर लोगों में उत्साह है। इसे देखकर लोग मानते हैं कि इस बार बारिश अच्छी होगी।

पादूकलां : धरती पर लाल मखमल की चादर सावन की डोकरी, मानसून अच्छा रहने के संकेत
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