रामगंजमंडी के तीन उचित मूल्य दुकानदारों के लाइसेंस रद्द

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कोटा। सार्वजनिक वितरण प्रणाली में अनियमितताओं मिलने पर रामगंजमंडी के तीन उचित मूल्य दुकानदारों के खिलाफ कडी कार्यवाही की गई है। जिला रसद अधिकारी कोटा द्वितीय कुशाल बिलाला ने बताया कि इन दुकानदारों का व्यवहार सीधे तौर पर सरकारी गेहूं का गबन (चोरी) मानते हुए इनका लाइसेंस रद्द कर दिया गया तथा 1000 रूपये की जमानत राशि भी जब्त कर ली गई है। जिला रसद अधिकारी ने बताया कि इन दुकानदारों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन (क्रिमिनल प्रोसीक्यूशन) और गायब स्टॉक की वसूली के निर्देश भी दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि यह कार्रवाई अदिति जगरवाल, प्रवर्तन अधिकारी की रिपोर्ट के आधार पर की गई है, जिसमें ग्राम सेवा सहकारी समिति अलोद, हेमराज धाकड़, कोटडी और ताहिर अली, चेचट के विरुद्ध गंभीर अनियमितताएं रिपोर्ट की गयी थी।

जांच और सुनवाई में इन डीलरों द्वारा बड़ी मात्रा में गरीबों को बाटी जाने वाले खाद्य सुरक्षा गेहूं की मात्रा का गबन किया जाना मिला। निलंबन के बाद, इन डीलरों को बचे हुए स्टॉक को उनकी जगह अस्थायी नियुक्त अन्य उचित मूल्य दुकानदार को सुपुर्द करने का निर्देश दिया गया था, लेकिन इनके द्वारा स्टॉक की सुपुर्दगी नहीं की गई। ग्राम सेवा सहकारी समिति अलोद के (व्यवस्थापक सुरेश) के मामले में 137.83 क्विंटल गेहूं, हेमराज धाकड़ के मामले में 60 क्विंटल गेहूं और ताहिर अली के मामले में 50.65 क्विंटल गेहूं गायब पाया गया। कारण बताओ नोटिस और व्यक्तिगत सुनवाई के दौरान, डीलरों ने गायब स्टॉक के संबंध में कोई संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं दिया और स्टॉक की पूर्ति के लिए समय मांगा। विभागीय दर से गायब स्टॉक की कीमत सुरेश के मामले में लगभग 4 लाख 39 हजार 261 रूपये, हेमराज धाकड़ के मामले में 1 लाख 91 हजार 220 रूपये और ताहिर अली के मामले में 1 लाख 61 हजार 440 रूपये आंकी गई है, यह आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 और राजस्थान खाद्यान्न एवं आवश्यक पदार्थ (वितरण एवं विनियमन) आदेश, 1976 का उल्लंघन है।

जिला रसद अधिकारी ने बताया कि इन दुकानों के अक्सर निर्धारित समय पर बंद मिलने की शिकायत मिलती थी और बंद का कारण भी नोटिस बोर्ड पर अंकित नहीं होता था। उपभोक्ताओं ने बताया कि राशन का वितरण प्रत्येक माह 20 तारीख के बाद ही किया जाता था। निरीक्षण के दौरान डीलरों की अनुपस्थिति और संतोषजनक स्पष्टीकरण न देना भी अनियमितता का हिस्सा रहा। मई 2025 की ऑनलाइन रिपोर्ट के अनुसार, पर्याप्त स्टॉक होने के बावजूद इन डीलरों द्वारा वितरण शून्य या बहुत कम रहा, जिससे खाद्य सुरक्षा लाभार्थियों को राशन सामग्री से वंचित रखा गया।

यह भी पाया गया कि पिछले महीनों (मार्च और अप्रैल 2025) में भी वितरण देर से शुरु हुआ, जो स्टॉक के निजी लाभार्थ दुरुपयोग और गायब स्टॉक की पूर्ति के लिए आगामी माह की आपूर्ति की प्रतीक्षा करने का संकेत देता है। इसके अतिरिक्त, डीलरों ने पोस मशीन को निष्क्रिय होने से बचाने के लिए केवल 1-2 राशन कार्डों पर लेनदेन किया और दुकान खुलने बंद होने का समय, हेल्पलाइन नंबर तथा स्टॉक जैसी आवश्यक जानकारी भी प्रदर्शित नहीं की। संबंधित क्षेत्रीय अधिकारी को आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 की धारा 3/7 के तहत पुलिस प्राथमिकी दर्ज कराने और राजस्थान लोक मांग वसूली अधिनियम-1952 के अंतर्गत गायब वस्तुओं की कीमत की वसूली के लिए सक्षम प्राधिकारी के समक्ष प्रकरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।

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