राजस्थान की अनूठी जल संरक्षण परम्परा को आगे बढ़ाएगा ‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियानÓ : मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा

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जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि प्रकृति का संरक्षण केवल एक विकल्प नहीं बल्कि महती आवश्यकता है। पर्यावरण संरक्षण एवं जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों को रोकना हमारी नैतिक जिम्मेदारी और कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि राजस्थान की जल संरक्षण की परंपराएं हमारी सांस्कृतिक विरासत का अभिन्न हिस्सा रही हैं। हमारे पूर्वजों ने जल को अमृत माना और उसे संरक्षित करने के लिए अनूठे तरीके अपनाए। बावड़ियां, जोहड़, तालाब और कुंए जैसी संरचनाएं राजस्थान की जल संरक्षण की परंपराओं का जीवंत उदाहरण हैं। इसी परम्परा को आगे बढ़ाते हुए भारत के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रेरणा से राजस्थान में ‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियानÓ के रूप में एक नई पहल की गई है। मुख्यमंत्री शर्मा गुरुवार को विश्व पर्यावरण दिवस और गंगा दशहरा के शुभ अवसर पर आरआईसी, जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत जल संचय संरचनाओं का निर्माण, जल स्रोतों की साफ-सफाई, परंपरागत जलाशयों के स्वरूप को पुन: बहाल करने व इनके संरक्षण के लिए जन जागरूकता से जुड़ी गतिविधियों का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि हर गांव और शहर में जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश पहुंचाया जाएगा।

‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियानÓ से जुड़ें सभी प्रदेशवासी
शर्मा ने कहा कि पर्यावरण का संरक्षण हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमारी कोशिश है कि जल संरक्षण एवं पर्यावरण संरक्षण का संदेश हर गांव और शहर में जन-जन तक पहुंचे। उन्होंने कहा कि आगामी 20 जून तक पूरे प्रदेश में चलने वाले ‘वंदे गंगा जल संरक्षण-जन अभियानÓ में सभी प्रदेशवासी सहभागी बनें और अपने आस-पास जल संचयन के छोटे-छोटे कार्यों में योगदान दें। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कर्मभूमि से मातृभूमि अभियान में अगले चार साल में लगभग 45 हजार जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण किया जाएगा। इस वित्त वर्ष में पूरे राज्य में करीब पांच हजार जल संरक्षण संरचनाओं के निर्माण का लक्ष्य रखा है। हर जिले में कम से कम 125 जल संरक्षण संरचनाएं बनाई जा रही हैं।

हरित राजस्थान बनाने के लिए मानसून में लगाएं कम से कम एक पौधा
मुख्यमंत्री ने सभी प्रदेशवासियों से अपनी दिनचर्या में पर्यावरण संतुलन को ध्यान में रखते हुए पर्यावरण अनुकूल जीवनशैली को अपनाने की अपील करते हुए कहा कि तभी प्रदूषण पर नियंत्रण पाया जा सकेगा और हम आगामी पीढ़ियों को स्वच्छ हवा, स्वच्छ पानी एवं स्वच्छ धरा का उपहार दे पाएंगे। उन्होंने सभी से आने वाले मानसून में कम से कम एक पौधा अपने आसपास के क्षेत्र में लगाने और उसकी नियमित देखभाल करने की भी अपील की ताकि प्रदेश को हरित राजस्थान बनाया जा सके।

लॉयन, टाइगर सफारी और 3 लेपर्ड सफारी वाला देश का इकलौता जिला जयपुर
वन एवं पर्यावरण राज्य मंत्री संजय शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार हरित प्रयासों एवं नवाचारों से हरियालो राजस्थान की परिकल्पना को साकार करने के लिए कटिबद्धता के साथ कार्य कर रही है। एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत प्रदेश में केंद्र तथा राज्य सरकार के लक्ष्यों से अधिक लगभग 7 करोड़ 22 लाख पौधे लगाए गए हैं। वन विभाग त्रि-स्तरीय प्रणाली से इन पौधों का संरक्षण भी सुनिश्चित कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को पॉलिथीन मुक्त करने के दिशा में भी प्रभावी कार्य किए जा रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का नवीन बीड पापड़ सफारी के लिए धन्यवाद देते हुए कहा कि जयपुर देश का एकमात्र ऐसा जिला बन गया है, जहां तीन लेपर्ड स$फारियों के साथ-साथ लॉयन और टाइगर सफारी भी है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के कुशल प्रबंधन से प्रदेश में बाघों का कुनबा बढ रहा है, राज्य में अब बाघों की संख्या बढ़कर 140 हो गई है।मुख्य सचिव सुधांश पंत ने सर्कुलर इकोनॉमी की महत्ता बताते हुए कहा कि हर चीज का पुन: चक्रण होना चाहिए, जिससे संसाधनों की बर्बादी को खत्म किया जा सके। उन्होंने कहा कि हम सभी को यूज़ एंड थ्रो की प्रवृत्ति से बचना चाहिए और पर्यावरण के संधारण हेतु छोटे- छोटे कदम उठाने चाहिए। हमारे यही कदम भविष्य की पीढ़ियों को एक बेहतर कल देने का काम करेंगे।वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव अपर्णा अरोड़ा ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल तथा पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग मुख्यमंत्री शर्मा के नेतृत्व में पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रतिबद्धता से कार्य कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के पहले ग्रीन बजट में की गई घोषणाओं से सभी को स्वच्छ जल, स्वच्छ हवा और स्वच्छ धरा मिल सके इसकी और प्रदेश अग्रसर है।

मुख्यमंत्री ने दी प्रदेश को विभिन्न सौगातें –
सात संभागीय मुख्यालयों एवं औद्योगिक शहरों में ई-वेस्ट संग्रहण के लिए 11 ई-वेस्ट संग्रहण वाहनों को दिखाई हरी झंडी।
प्रिंटिंग इकाइयां से उत्पन्न केमिकल युक्त पानी के उपचार हेतु जीरो लिक्विड़ डिस्चार्ज पर आधारित सी.ई.टी.पी, सांगानेर का जीर्णोद्धार के उपरांत लोकार्पण ।
राज्य के 6 बड़े अस्पतालों- सवाई मानसिंह अस्पताल, जयपुर, एसआरजी अस्पताल, झालावाड़, उम्मेद अस्पताल, जोधपुर, कमला नेहरू अस्पताल, जोधपुर, एमडीएम अस्पताल, जोधपुर व जनाना अस्पताल, अजमेर में प्रदूषित जल के उपचार के लिए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट का लोकार्पण।
वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए 54 शहरी क्षेत्रों में जल छिड़काव और सड़क सफाई मशीनों की खरीद हेतु धनराशि का हस्तांतरण।
पांच लव कुश वाटिकाओं, उदयपुर में माछला मगरा नगर वन, उदयपुर में रिसाला ग्रीन लंग्स और जयपुर में बीड़ पापड़ सफारी की शुरुआत।
संसाधनों की रिसाक्लिंग और पुन: उपयोग को प्रोत्साहित करने के लिए सर्कुलर इकोनॉमी इन्सेंटिव स्कीम का शुभारंभ।
प्रशासनिक प्रक्रियाओं को सरल बनाने के लिए ऑटो रिन्यूअल सिस्टम और पर्यावरण प्रबंधन को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम 2.0 की शुरुआत।

इन कार्यों के हुए एमओयू-
विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर राज्य में क्लाइमेट चेंज एडैप्टेशन प्लान 2030 तैयार करने के लिए राज्य प्रदूषण मंडल तथा सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायर्नमेंट, नई दिल्ली के मध्य एमओयू किया गया। साथ ही, एमिशन ट्रेडिंग स्कीम (इटीएस) पर पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग, राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल तथा जे.पी.ए.एल एसए व ई.पी.आई.सी के मध्य त्रिपय एमओयू किया गया। इस दौरान अलवर और भिवाड़ी के लिए अर्ली वॉर्निंग सिस्टम हेतु राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल एवं आई.आई.टी.एम, पुणे के मध्य भी एमओयू किया गया। इस दौरान मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने सतत प्रयास-हरित विकास प्रदर्शनी का उद्घाटन कर अवलोकन किया। समारोह में संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल, लोकसभा सांसद मंजू शर्मा, विधायक गोपाल शर्मा, महापौर नगर निगम ग्रेटर डॉ. सौम्या गुर्जर, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, राजस्थान अरिजीत बनर्जी सहित वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।

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