गंगा दशमी पर वंदे गंगा के जयकारों के साथ शुरू हुआ जल संरक्षण जन अभियान, ऐतिहासिक और पुरातात्विक बावड़ी की साफ सफाई कर दिया पर्यावरण संरक्षण का संदेश, जल संरक्षण के लिए करने होंगे समन्वित प्रयास -जनजाति क्षेत्र विकास मंत्री

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जयपुर। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के नेतृत्व में प्रदेश में गंगा दशमी एवं विश्व पर्यावरण दिवस पर वंदे गंगा जल संरक्षण जन अभियान का शुभारंभ किया गया। डूंगरपुर जिला मुख्यालय पर गंगा दशमी के अवसर पर वंदे गंगे के जयकारों के साथ कलश यात्रा, प्रभात फेरी, श्रमदान एवं साइकिल रैली के साथ यह आयोजन हुआ। राज्य स्तरीय कार्यक्रम का प्रसारण जयपुर से वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से किया गया जिसमें मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने गंगा दशमी और विश्व विश्व पर्यावरण दिवस को शुभ संयोग बताते हुए कहा कि यह वह देश है, जिसने दुनिया को राह दिखाई। उन्होंने कहा कि पर्यावरण व प्रकृति का संरक्षण हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। नदी, पहाड़, पर्वत से लेकर प्रकृति पूजन भारतीय संस्कृति की परंपरा है। हमारे यहां नदियों को मां का दर्जा दिया गया है क्योंकि वह हमारी जीवन रेखा है। इसलिए प्रकृति का संरक्षण हमारा दायित्व है।

प्रभात फेरी, साइकिल रैली से दिया संदेश-
गुरूवार को जिला प्रशासन और जिलेवासियों द्वारा प्रभात फेरी के साथ साईकिल रैली निकाल गई। साथ ही, जागरूकता रैली सम्पन्न हुई। विश्व पर्यावरण दिवस पर जिला प्रशासन एवं नगर परिषद के संयुक्त तत्वाधान में पुरानी और ऐतिहासिक बावड़ियों रानी वाव तथा केला वाव की साफ सफाई कर श्रमदान किया गया। साथ ही कलश यात्रा एवं पीपल पूजन कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया गया। जिला स्तरीय कार्यक्रम का आगाज राजमाता विजिया राजे सिंधिया ऑडिटोरियम में जिला प्रभारी मंत्री एवं जनजाति क्षेत्र विकास मंत्री बाबूलाल खराड़ी के मुख्य आतिथ्य में किया गया।जिला स्तरीय कार्यक्रम को संबोधित करते हुए खराडी ने पुरातन काल से जीवनदायनी गंगा के महत्व को बताते हुए कहा कि जल संरक्षण आज की प्राथमिक आवश्यकता है। उन्होंने जल संरक्षण के लिए सरकार द्वारा वाटर हार्वेस्टिंग, जल स्वावलम्बन अभियान, एनिकट, टेऊंच आदि के निर्माण से बारिश के पानी को रोकने एवं भूमिगत जल स्तर को बढ़ावा देने की योजनाओं एवं प्रयासों पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि प्रत्येक नागरिक की जिम्मेदारी है कि जल का संरक्षण हो इसी दिशा में सरकार द्वारा आमजन को सम्मिलित करते हुए वंदे गंगा, कर्मभूमि से मातृभूमि जैसे अभियानों को चलाया जा रहा है।

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