जयपुर। राजस्थान में नगरीय प्रशासन को और अधिक प्रभावी, उत्तरदायी और समावेशी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। बुधवार को स्वायत्त शासन विभाग के सभागार में नगरीय निकायों के पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन से जुड़े प्रस्तावों पर गहन चर्चा के लिए मंत्रीमंडलीय उप-समिति की दूसरी समीक्षा बैठक आयोजित की गई। यह पहल मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के कुशल मार्गदर्शन में शुरू की गई है, जिसका मुख्य उद्देश्य राज्य के शहरी निकायों को वर्तमान आवश्यकताओं और भविष्य की चुनौतियों के अनुरूप ढालना है। इसका लक्ष्य आमजन तक प्रशासन की पहुंच को आसान बनाना, स्थानीय विकास को गति देना और शहरी क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार लाना है। बैठक में मंत्रीमंडलीय उप-समिति के सदस्यों ने सक्रिय रूप से भाग लिया।
इनमें जल संसाधन विभाग के मंत्री सुरेश सिंह रावत, वन विभाग के राज्यमंत्री संजय शर्मा, सहकारिता विभाग के राज्यमंत्री गौतम कुमार दक शामिल थे। समिति के संयोजक और नगरीय विकास विभाग के राज्यमंत्री झाबर सिंह खर्रा ने बैठक का संचालन किया।इस समीक्षा बैठक में विशेष रूप से जोधपुर, भरतपुर और जयपुर संभाग की नगरीय निकायों के पुनर्गठन और पुनर्सीमांकन के प्रस्तावों पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया। यह प्रक्रिया न केवल नगरीय प्रशासन को अधिक संगठित और जनोन्मुखी बनाएगी, बल्कि स्थानीय शासन में पारदर्शिता, समावेशिता और उत्तरदायित्व की भावना को भी मजबूत करेगी। राजस्थान सरकार का मानना है कि यह निर्णय प्रक्रिया राज्य को शहरी सुशासन की दिशा में एक नई ऊंचाई तक पहुंचाने में एक सशक्त कदम साबित होगी।
बैठक में स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव, निदेशक एवं विशिष्ठ सचिव इंद्रजीत सिंह सहित कई अन्य उच्च अधिकारी भी उपस्थित थे, जिन्होंने तकनीकी और प्रशासनिक पहलुओं पर अपनी राय और जानकारी साझा की। यह बैठक दर्शाती है कि राज्य सरकार शहरी विकास और प्रशासन में सुधार के लिए गंभीर है और जमीनी स्तर पर बदलाव लाने के लिए प्रतिबद्ध है। इन पुनर्गठनों से शहरी क्षेत्रों में बेहतर नियोजन, कुशल सेवा वितरण और नागरिकों की सक्रिय भागीदारी की उम्मीद की जा रही है।