टोंक। कृषि विभाग ने कांटेदार और चेनलिंक तारबंदी योजना में किसानों को बड़ी राहत दी है। अब किसान एक ही जगह न्यूनतम आधा हैक्टेयर (दो बीघा) भूमि होने पर भी योजना का लाभ ले सकेंगे। पहले यह सीमा 1.5 हैक्टेयर थी।
कृषि विभाग के उप निदेशक कृषि (विस्तार) वीरेन्द्र सिंह सोलंकी ने बताया कि किसान मेहनत और लागत से फसलें उगाते हैं। नीलगाय और आवारा पशु फसलों को नुकसान पहुंचाते हैं। इन्हीं से बचाव के लिए राज्य सरकार खेतों की तारबंदी पर अनुदान दे रही है।
किसान व्यक्तिगत या समूह में खेतों की तारबंदी कर सकते हैं। इसके लिए 15 फीट की दूरी पर खंभे लगाने होंगे। 5 आड़ी कांटेदार तार और 2 क्रॉस तार या चेनलिंक जाल लगाना होगा। लोहे या सीमेंट के खंभों की सुरक्षा के लिए जमीन में पीसीसी करना जरूरी है। खर्च की पूरी राशि के बिल किसानों को देने होंगे।
काम पूरा होने के बाद कृषि पर्यवेक्षक भौतिक सत्यापन करेंगे। यह सत्यापन राज किसान साथी पोर्टल पर ऑनलाइन होगा। इसके बाद अनुदान की राशि सीधे किसानों के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाएगी।
योजना के लिए पात्र किसान ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए प्रस्तावित भूमि की पेरीफेरी का नवीनतम प्रमाणित संयुक्त नक्शा ट्रेस, जमाबंदी, जन आधार कार्ड और लघु-सीमान्त प्रमाण पत्र जरूरी होगा। आवेदन नजदीकी ई-मित्र केंद्र या स्वयं राज किसान साथी पोर्टल पर किया जा सकता है। स्वीकृति पहले आओ पहले पाओ के आधार पर दी जाएगी।
समूह में यदि 10 किसान मिलकर 5 हैक्टेयर (20 बीघा पक्की) भूमि पर तारबंदी करवाते हैं तो सभी को 70 फीसदी अनुदान मिलेगा। प्रति किसान अधिकतम 400 रनिंग मीटर लंबाई पर 56 हजार रुपए तक अनुदान मिलेगा।
व्यक्तिगत या समूह में एक ही जगह 0.5 हैक्टेयर (2 बीघा पक्की) भूमि पर तारबंदी करवाने पर लघु और सीमांत किसानों को अधिकतम 48 हजार रुपए और सामान्य किसानों को 40 हजार रुपए तक का अनुदान मिलेगा।



