परीक्षा माइल स्टोन है, मंजिल नहीं : जिला कलक्टर

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कोटा। कामयाब कोटा अभियान एवं कोटा केयर्स के तहत बुधवार को जिला कलक्टर डॉ. रविन्द्र गोस्वामी ने जवाहर नगर स्थित एलन समुन्नत कैम्पस में नवागन्तुक नीट स्टूडेंट्स से संवाद किया। इस अवसर पर उन्होंने न केवल पढ़ाई की रणनीति बल्कि मानसिक और भावनात्मक संतुलन बनाए रखने को लेकर भी विद्यार्थियों को मार्गदर्शन दिया। डॉ. गोस्वामी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए विद्यार्थियों को अनुशासित दिनचर्या, स्मार्ट स्टडी और आत्म-प्रेरणा के महत्त्व को समझाया।
परीक्षा को मील का पत्थर मानें, अंतिम लक्ष्य नहीं
डॉ. गोस्वामी ने कहा कि जिस परीक्षा के लिए छात्र कोटा आए हैं, वह मंज़िल नहीं, बल्कि जीवन के सफर का एक माइल स्टोन है। जैसे-जैसे विद्यार्थी ये माइल स्टोन पार करते जाएंगे, उनके जीवन के लक्ष्य और दृष्टिकोण भी बदलते रहेंगे। उन्होंने विद्यार्थियों से दीर्घकालीन सोच के साथ वर्तमान में केंद्रित रहते हुए मेहनत करने की बात कही।
मानसिक चुनौतियों को सामान्य मानें
उन्होंने एंजाइटी, सेल्फ डाउट और ओवरथिंकिंग को लेकर विद्यार्थियों को आश्वस्त किया कि ये समस्याएं लगभग हर किसी के साथ होती हैं। इन्हें बीमारी न मानते हुए सकारात्मक सोच और आसान तकनीकों से नियंत्रित किया जा सकता है। डॉ. गोस्वामी ने कहा कि खुद से संवाद करना, साथियों से चर्चा करना और ध्यान को सही दिशा में लगाना इन समस्याओं से निपटने के प्रभावी उपाय हैं।
स्वास्थ्य और स्वच्छता को बनाएं दिनचर्या का हिस्सा
छात्रों को स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करते हुए उन्होंने कहा कि अध्ययन के साथ स्वच्छता भी उतनी ही आवश्यक है। उन्होंने रोजाना एक नींबू खाने, भोजन से पहले हाथ धोने और बीमारी की स्थिति में आराम करने की सलाह दी। डॉ. गोस्वामी ने कहा कि बीमार शरीर से पढ़ाई नहीं होती, इसलिए पहले शरीर को ठीक करना जरूरी है।
स्मार्ट रिवीजन और पढ़ाई के तरीके अपनाएं
रिवीजन को लेकर डॉ. गोस्वामी ने कहा कि हर छात्र के पास बैकलॉग होता है और यह सामान्य बात है। उन्होंने सुझाया कि कठिन टॉपिक के की-वर्ड्स बनाएं और उन्हें नोटबुक के कोनों पर लिखें ताकि रिवीजन आसान हो। उन्होंने यह भी कहा कि जब नियमित कक्षाएं न हों या छुट्टी मिले, तो उस समय का उपयोग रिवीजन के लिए करना चाहिए। साथियों के साथ विषयों पर चर्चा कर पढ़ाई को आसान और रोचक बनाया जा सकता है।
मोबाइल के प्रलोभन से सावधान रहें
मोबाइल को सबसे बड़ा ध्यान भटकाने वाला उपकरण बताते हुए उन्होंने कहा कि जब छात्र पढ़ाई करते हैं तो रील्स का ख्याल आता है और जब रील्स देखते हैं तो पढ़ाई का पछतावा होता है। इस द्वंद्व से बचने के लिए पढ़ाई और मनोरंजन के लिए समय निर्धारित करना जरूरी है। दोनों कार्यों को पूरे मन से करने से आत्मग्लानि से बचा जा सकता है।
अटेंशन स्पान के अनुसार बनाएं प्लानिंग
डॉ. गोस्वामी ने विद्यार्थियों को सलाह दी कि वे अपने अटेंशन स्पान को समझें और उसी के अनुसार पढ़ाई की योजना बनाएं। उन्होंने कहा कि बड़ी प्लानिंग अक्सर निष्पादन में विफल हो जाती है, इसलिए छोटे-छोटे टारगेट तय करें, उन्हें पूरा करें और खुद को रिवॉर्ड दें। इससे न केवल कार्यक्षमता बढ़ेगी, बल्कि आत्मविश्वास भी मजबूत होगा।
खुलकर रखी समस्याएं, मिली प्रैक्टिकल सलाह
कार्यक्रम के अंत में छात्राओं ने सेल्फ डाउट, बैकलॉग, टेस्ट प्रिपरेशन, रिवीजन, एंजाइटी, डिप्रेशन, मार्क्स में गिरावट और कॉन्फिडेंस की कमी जैसी समस्याएं साझा कीं। डॉ. गोस्वामी ने उनकी बातों को ध्यानपूर्वक सुना और व्यावहारिक समाधान दिए। उन्होंने विद्यार्थियों से आग्रह किया कि वे समस्याओं से डरने की बजाय उनका सामना करें और अपनी पढ़ाई की शैली में सुधार लाएं।

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