संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि सूडान के अल-फ़शर और उसके आसपास बढ़ती हिंसा से, मानवीय स्थिति और भी बिगड़ रही है, जो एक गम्भीर चिन्ता का विषय है. सूडानी सशस्त्र बलों (SAF) और उसके पूर्व सहयोगी त्वरित सहयोग बल (RSF) के बीच चल रहा युद्ध अब तीसरे वर्ष में प्रवेश कर चुका है. पिछले सप्ताह RSF से जुड़ी ताक़तों ने उत्तरी दारफ़ूर की राजधानी अल-फ़शर समेत ज़मज़म और अबू शौक़ शरणार्थी शिविरों पर घातक हमले किए थे.संयुक्त राष्ट्र की प्रवक्ता स्टेफ़नी ट्रैम्बले ने बुधवार को बताया कि ज़मज़म शिविर पर सशस्त्र समूहों के क़ब्ज़े के बाद, धरातल से मिल रही ख़बरों में भयावह अत्याचारों की जानकारी मिली है.हत्या और यौन हिंसा की भयावह घटनाएँप्रवक्ता स्टेफ़नी ट्रैम्बले ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में एक नियमित प्रेस वार्ता के दौरान पत्रकारों को बताया, “आम लोगों को वहाँ से अन्यत्र नहीं जाने दिया जा रहा है, जिनमें मानवीय सहायता कार्यकर्ता भी शामिल हैं.
इस हिंसा से जीवित बचे लोगों ने हत्या, यौन हिंसा और घरों को जलाए जाने की घटनाओं की जानकारी दी है.”उन्होंने बताया कि मानवीय राहत कार्यों में रास्ते बन्द होने, ईंधन की भारी कमी और अस्थिर सुरक्षा माहौल की वजह से, गम्भीर रूप से बाधा उत्पन्न हो रही है. इसके अलावा, स्वास्थ्य सेवाएँ और साफ़ पानी की व्यवस्था सबसे अधिक प्रभावित हुई हैं.इसी बीच सोमवार को ख़ारतूम में ड्रोन हमलों से बिजली ढाँचे को नुक़सान पहुँचा है, जिससे उम बद्दा, कर्रारी और ओमदूरमान ज़िलों के बड़े इलाक़े में बिजली और स्वच्छ जल की आपूर्ति ठप हो गई है.यूएन प्रवक्ता स्टेफ़नी ट्रैम्बले ने कहा, “हम एक बार फिर सभी पक्षों से आग्रह करते हैं कि वे नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करें और मानवीय सहायता की पहुँच को सम्भव बनाएँ.”उन्होंने यह भी कहा, “हम अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से अपील करते हैं कि सूडान के सबसे ज़रूरतमन्द लोगों तक आवश्यक सहायता पहुँचती रहने के लिए सहयोग बढ़ाया जाना होगा.”इस सन्दर्भ में उन्होंने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने मंगलवार को लन्दन में आयोजित सूडान सम्मेलन की सराहना की, जिसमें सूडान के लिए बड़ी धनराशि की घोषणा भी की गई है.