“बारात आ गई” ने मंच से मन तक की यात्रा करवाई, दर्शक देर तक रहे मौन

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जयपुर। नेट थिएट कार्यक्रमों की श्रृंखला में नाद संस्था द्वारा रंगकर्मी अनिल मारवाड़ी द्वारा निर्देशित इम्प्रोवाइज नाटक “बारात आ गई” ने दर्शकों को भावनाओं के गहरे समंदर में डुबो दिया। यह नाटक न केवल मनोरंजक रहा, बल्कि दर्शकों को मानसिक स्वास्थ्य और सामाजिक संवेदनाओं के मुद्दों पर सोचने को भी मजबूर कर गया।

नेट सीट के राजेंद्र शर्मा राजू ने बताया कि नाटक की कहानी एक ऐसे पिता की है, जो हर रोज़ अपनी बेटी की बारात के आने की तैयारी में जुटा रहता है। पूरे मोहल्ले में जोर-शोर से व्यवस्था करता है, राह चलते लोगों को काम में लगाने की कोशिश करता है, कभी प्यार से, तो कभी डांटकर। आस-पास के लोग यह मान लेते हैं कि सच में किसी की बेटी की बारात आने वाली है और मदद करने लगते हैं।

पर धीरे-धीरे पोल खुलती है — एक बच्चा जब खाने के लिए पूछता है तो वह कहता है कि छत पर हलवाई बैठा है, पर वास्तव में वहां कोई नहीं होता। इसी बीच एक महिला पात्र पूरे नाटक के दौरान यह बताने की कोशिश करती है कि यह सब उस व्यक्ति की कल्पना है। सच यह है कि उसकी बेटी वर्षों पहले शादी के दिन बिना बताए चली गई थी, और उसी सदमे में वह मानसिक रूप से असंतुलित हो गया। तब से वह रोज़ उसी दिन को जीता है, रोज़ बारात के आने की तैयारी करता है — उम्मीद और टूटे हुए सपनों के बीच झूलता एक पिता।

मुख्य भूमिकाओं में गुलशन कुमार चौधरी, रेनू सनाढ्य, जीवितेश शर्मा और मनोज स्वामी ने अपनी अभिनय क्षमता से पात्रों में जान फूंक दी। विशेष रूप से पिता की भूमिका में कलाकार ने उस पीड़ा और मानसिक टूटन को इतनी सहजता से निभाया कि दर्शकों की आंखें नम हो गईं।

यह नाटक इम्प्रोवाइज शैली में प्रस्तुत किया गया, जहां संवाद और घटनाएं मंच पर कलाकारों की रचनात्मकता से जीवंत होती हैं। यही प्रयोग इसे खास बनाता है ।
“बारात आ गई” एक संवेदनशील प्रस्तुति रही, जो मानसिक स्वास्थ्य, सामाजिक समर्थन और पारिवारिक रिश्तों की गहराई को उजागर करती है।
कार्यक्रम संयोजक नवल डांगी, कैमरा आलोक पारीक, संगीत एवं मंच सज्जा धृति शर्मा और अंकित शर्मा नोनू की रही ।

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