सुप्रीम कोर्ट की आलोचना गलत, कानून संविधान से चलता है : संदीप दीक्षित

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नई दिल्ली। कांग्रेस नेता संदीप दीक्षित ने शुक्रवार को समाचार एजेंसी आईएएनएस से खास बातचीत में उपराष्ट्रपति के एक हालिया बयान और वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट के रुख पर टिप्पणी की। इसके अलावा, उन्होंने पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में हुई हिंसा को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सवाल उठाए।उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाल ही में कहा था कि कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट ‘सुपर संसद’ की तरह व्यवहार कर रही है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए संदीप दीक्षित ने कहा कि उपराष्ट्रपति का यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्हें शायद संविधान पढ़ना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट को यह अधिकार है कि वह यह देखे कि कोई कानून संविधान की भावना के खिलाफ तो नहीं है। अगर किसी व्यक्ति को लगता है कि कानून असंवैधानिक है, तो वह कोर्ट जा सकता है, और कोर्ट उस पर सुनवाई कर सकती है। उपराष्ट्रपति भी एक संवैधानिक पद है, और सुप्रीम कोर्ट भी। दोनों की मर्यादा है, लेकिन अदालत की आलोचना करना संवैधानिक जिम्मेदारी के खिलाफ है।

वोरा समाज द्वारा प्रधानमंत्री से मुलाकात कर वक्फ संशोधन कानून की प्रशंसा किए जाने पर संदीप दीक्षित ने कहा कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है। वक्फ (संशोधन) कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को हुई सुनवाई के बाद कोर्ट के आदेश को लेकर पूछे जाने पर संदीप दीक्षित ने कहा कि यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट के अधीन है, तो अब देखना होगा कि आगे क्या होता है। लोग अपनी-अपनी दलील और आपत्तियां लेकर कोर्ट गए हैं। मुझे इसकी विस्तृत जानकारी नहीं है कि सुनवाई में क्या चर्चा हुई, लेकिन सुप्रीम कोर्ट उन सभी प्रावधानों की समीक्षा करेगा, जिन पर लोगों ने आपत्ति जताई है।

मुझे पूरी उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान और कानून के आधार पर यह तय करेगा कि वक्फ कानून में क्या उचित है। उन्होंने आगे कहा कि अगर सरकार को लगता है कि यह कानून ठीक है, तो वह इसे लागू कर सकती है, लेकिन यह समझना जरूरी है कि कानून किसी एक व्यक्ति की इच्छा से नहीं चलता। यदि किसी को लगता है कि कोई कानून गलत है, तो यह देश उसे अपनी बात रखने की आजादी देता है। कानून बहुमत या भीड़ से नहीं, बल्कि यह देखकर चलता है कि वह कितना न्यायोचित, तार्किक और संविधान से जुड़ा है। यह बात सभी को समझनी चाहिए। जो लोग किसी कानून के समर्थन या विरोध में जाते हैं, उन्हें यह देखना चाहिए कि वह कानून कितना संवैधानिक और न्यायसंगत है।

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