जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने राज्य सरकार द्वारा मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कर्मियों को दिन में सिर्फ एक घंटे का ब्रेक देने के नियम को अव्यवहारिक बताया है। उन्होंने कहा कि भीषण गर्मी में यह पर्याप्त नहीं है और इससे मजदूरों को लू लगने का खतरा बढ़ जाएगा।गहलोत ने स्मरण दिलाया कि उनकी कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में गर्मी के मौसम को ध्यान में रखते हुए मनरेगा मजदूरों के काम का समय सुबह जल्दी कर दिया जाता था। इससे मजदूरों को तपती धूप से राहत मिलती थी और लू से बचाव होता था। उन्होंने वर्तमान राज्य सरकार से बढ़ती गर्मी को देखते हुए तत्काल हस्तक्षेप करने और मनरेगा मजदूरों के काम का समय सुबह जल्दी करने का आग्रह किया।
गहलोत ने कहा कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि इस गर्मी में लू लगने से किसी भी मनरेगा मजदूर की जान न जाए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि गर्मी का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है और ऐसे में मजदूरों को लंबे समय तक धूप में काम करने के लिए मजबूर करना अमानवीय है। उन्होंने सरकार से संवेदनशीलता दिखाते हुए मजदूरों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को प्राथमिकता देने की अपील की।उन्होंने यह भी कहा कि यदि काम का समय सुबह किया जाता है तो मजदूरों को राहत मिलेगी और वे अधिक कुशलता से काम कर पाएंगे। गहलोत ने उम्मीद जताई कि राज्य सरकार उनकी इस मांग पर सकारात्मक रूप से विचार करेगी और जल्द ही आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करेगी।

गहलोत ने मनरेगा कर्मियों के एक घंटे के ब्रेक को बताया अव्यवहारिक, काम का समय सुबह करने की मांग
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