राज्य और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की ओर से ‘हरित न्याय’ पर आधारित कॉन्फ्रेंस आयोजित

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सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्तिगण और उच्च न्यायालय के न्यायाधिपतिगण पिपलांत्री में पर्यावरण संरक्षण के कार्य देख हुए अभिभूत

जयपुर। शनिवार को राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के संयुक्त तत्वावधान में राजसमंद के ग्राम पिपलांत्री में ‘वन संरक्षण एवं बालिका संरक्षण – विधिक चेतना शिविर’ तथा नाथद्वारा में ‘हरित न्याय – हरित एवं स्वच्छ वातावरण, सतत विकास के लिए विधिक सेवा संस्थाओं की भूमिका’ विषयक कॉन्फ्रेंस का आयोजन हुआ।यह कार्यक्रम भारत के सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति बी. आर. गवई, न्यायमूर्ति संदीप मेहता, भारत सरकार के केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल, राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति मनिन्द्र मोहन वास्तव, राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव हरिओम अत्रि आदि की गरिमामय उपस्थिति में संपन्न हुआ।

इन कार्यक्रमों में राजस्थान उच्च न्यायालय के अन्य सभी न्यायाधिपतिगण तथा राज्य के समस्त जिला विधिक सेवा प्राधिकरणों के सचिवगण उपस्थित रहे। यह पहला अवसर था जब इतनी बड़ी संख्या में न्यायमूर्ति एवं न्यायाधिपति एक साथ किसी जिले में उपस्थित हुए। इससे न केवल पर्यावरण संरक्षण का संदेश जन-जन तक पहुँचा, बल्कि भविष्य के लिए एक मार्ग भी प्रशस्त हुआ। यहाँ पहुँचते ही सभी न्यायाधीशों द्वारा पौधारोपण किया गया। तत्पश्चात मंच पर जस्टिस बी. आर. गवई ने संत तुकाराम की पंक्तियाँ सुनाते हुए पेड़-पौधों को अपनों की तरह संरक्षित रखने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि पक्षियों की आवाज़ से अधिक सुखद संगीत कोई नहीं है। गवई ने पिपलांत्री आने को एक तीर्थ यात्रा पर आने जैसा बताया और कहा कि देश के पिछड़े इलाकों में रहने वाले व्यक्ति को उतना ही अधिकार है, जितना नई दिल्ली जैसे बड़े शहरों में रहने वाले को।

गवई ने तेलंगाना (हैदराबाद) में हाल ही में 400 में से 100 एकड़ जंगल की कटाई के प्रकरण में न्यायपालिका द्वारा हस्तक्षेप और उसके प्रभाव की जानकारी साझा की। उन्होंने कहा कि लालच हमें कहाँ तक ले जाएगा, यदि पेड़, नदियाँ, तालाब नष्ट हो गए तो मनुष्य भी नहीं बच पाएगा। उन्होंने श्याम सुंदर पालीवाल को न्यायपालिका की ओर से धन्यवाद देते हुए कहा कि यहाँ से ‘बेटी बचाओ’ के साथ-साथ ‘पर्यावरण बचाओ’ का संदेश देशभर में गया है। नालसा (NALSA) भी इस दिशा में कटिबद्ध है, जिसके तहत देश के कोने-कोने में जाकर लोगों को जागरूक किया जा रहा है – चाहे वह मणिपुर हो या झारखंड।समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के जस्टिस संदीप मेहता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा भेजा गया संदेश पढ़कर सुनाया और कहा कि यह पिपलांत्री के लिए अत्यंत प्रेरणादायक है। मेहता ने कहा कि आज वे भावविभोर हैं कि पिपलांत्री में जो पावन कार्य हुए, उन्हें उस महान शख्सियत ने पहचाना जिसे आज पूरी दुनिया सम्मान देती है। उन्होंने कहा कि हम अब विकासशील से विकसित देश की ओर अग्रसर हैं और पिपलांत्री के लिए मंगलकामना प्राप्त होना गर्व का विषय है।

केन्द्रीय विधि एवं न्याय राज्य मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने कबीरदास के भजन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि पानी, तालाब, पर्वत को कबीरदासजी ने मानव के समान माना है। उन्होंने कहा कि जब पालीवाल के घर त्रासदी हुई और उनकी पुत्री का स्वर्गवास हुआ, तब उन्होंने जीवन में हार नहीं होनी और बेटी एवं पर्यावरण बचाने की दिशा में एक कर्मयोगी के रूप में इस पूरे क्षेत्र को उसकी स्मृति में हरा-भरा बना दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी का संदेश यहाँ पहले से ही क्रियान्वित हो रहा है। इस समारोह में अतिथियों द्वारा दिव्यांगजनों को ट्राईसाइकिल, श्रमिकों के बच्चों को निर्माण श्रमिक कौशल विकास योजना के अंतर्गत छात्रवृत्ति पत्र, प्रधानमंत्री वय वंदना योजना के कार्ड आदि वितरित किए गए।

नाथद्वारा में हुआ ‘ग्रीन जस्टिस’ पर मंथन:
नाथद्वारा में आयोजित ‘हरित न्याय – हरित एवं स्वच्छ वातावरण, सतत विकास के लिए विधिक सेवा संस्थाओं की भूमिका’ विषयक कॉन्फ्रेंस में न्यायमूर्तियों ने अपने विचार व्यक्त किए। जस्टिस गवई ने विधिक सेवा संस्थाओं की भूमिका पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए पर्यावरण संरक्षण से संबंधित अपने कई निर्णयों का उल्लेख किया। उन्होंने महिला शिक्षा के संदर्भ में मती सावित्रीबाई फुले एवं ज्योतिबा फुले के कार्यों का उदाहरण भी प्रस्तुत किया।जस्टिस बी. आर. गवई ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक न्याय को एक समान महत्व देते थे। पौधारोपण के साथ-साथ उनका संरक्षण और संवर्धन भी अनिवार्य है। यदि एक पेड़ कटे तो उसकी एवज में कम से कम दस पेड़ अवश्य लगाए जाएं। जस्टिस गवई ने राजस्थान राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के कार्यों की सराहना की।

केन्द्रीय राज्यमंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अपने संबोधन में सुंदरलाल बहुगुणा एवं मती अमृता देवी विश्नोई जैसे महान व्यक्तित्वों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आज हम थर्मल ऊर्जा से सौर ऊर्जा की ओर बढ़ रहे हैं, यह भी हरित न्याय का ही स्वरूप है। उन्होंने पंच तत्वों के महत्व तथा मानव शरीर और प्रकृति के बीच तालमेल पर विचार रखे।जस्टिस संदीप मेहता ने संविधान के अनुच्छेद 51 (क) का उल्लेख करते हुए नागरिकों के पर्यावरण संरक्षण संबंधी कर्तव्यों की बात कही। उन्होंने ताल छापर अभयारण्य क्षेत्र को बढ़ाने में न्यायपालिका की भूमिका से प्राप्त सकारात्मक परिणामों का उदाहरण दिया।

राजस्थान उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधिपति एम. एम. वास्तव ने पर्यावरण प्रदूषण और उसके दुष्परिणामों पर विस्तार से प्रकाश डाला तथा हरित न्याय के लिए एक स्थायी संस्था गठित करने की आवश्यकता जताई, जिसमें न्यायपालिका, प्रशासन और गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि शामिल हों।कार्यक्रम में अतिथियों द्वारा राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के वर्ष 2025-26 के एक्शन प्लान एवं कैलेंडर, प्राधिकरण की यात्रा पर आधारित पुस्तक, बाल विवाह रोकथाम हेतु प्रकाशित पुस्तक ‘आशा’ का विमोचन किया गया। इस दौरान पर्यावरणविद् श्याम सुंदर पालीवाल एवं बाल विवाह रोकथाम में अग्रणी मती कृति भारती ने अपने अनुभव व सुझाव साझा किए।

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