इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने बृहस्पतिवार को एक जनहित याचिका की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया, जिसमें न्यायालय में न्यायाधीशों के सभी 81 रिक्त पदों को समय पर और शीघ्र भरने के लिए अदालती निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीश के 160 पदों में से 50 प्रतिशत से अधिक पद रिक्त हैं। वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश त्रिवेदी द्वारा दायर जनहित याचिका को अब दूसरी खंडपीठ के समक्ष रखा जाएगा जिसके मुख्य न्यायाधीश सदस्य नहीं हैं।
बृहस्पतिवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए आया, जनहित याचिकाकर्ता की ओर से जिरह के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी पेश हुए। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की कमी को रेखांकित करते हुए जनहित याचिका में कहा गया है कि 24 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में 11,55,225 मामले लंबित हैं और वर्तमान में प्रत्येक 30 लाख लोगों के लिए केवल एक न्यायाधीश हैं जिसमें प्रत्येक न्यायाधीश औसतन 14,623 लंबित मामले देख रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि यह उच्च न्यायालय कार्य करने में पंगु की स्थिति में है क्योंकि यह 50 प्रतिशत से कम न्यायाधीशों के साथ काम कर रहा है जिससे 11 लाख से अधिक मामलों का दुर्गम ढेर खड़ा हो गया है।याचिका के मुताबिक, भले ही अदालत 160 न्यायाधीशों की अपनी पूर्ण क्षमता पर पहुंच जाए तब भी प्रत्येक 15 लाख लोगों के लिए केवल एक न्यायाधीश उपलब्ध होंगे और प्रत्येक न्यायाधीश के पास करीब 7,220 लंबित मामले निपटाने के लिए होंगे।