बारां। राजस्थान राज्य औषधीय पादप बोर्ड द्वारा जिले के संस्कार मैरिज गार्डन, बाबजी नगर रोड स्थित तेल फैक्ट्री में दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम में जिले के 100 से अधिक किसानों ने भाग लिया, जिसका उद्देश्य औषधीय पादपों की खेती के बारे में जानकारी प्राप्त करना है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ संभागीय आयुक्त कोटा राजेंद्र सिंह शेखावत द्वारा किया गया। उन्होंने भगवान धन्वंतरि के दीप प्रज्वलन से कार्यक्रम की शुरुआत की। दीप प्रज्वलन के बाद, संभागीय आयुक्त ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि आने वाला समय हर्बल सेक्टर का है। उन्होंने बताया कि आज की दुनिया भारत की प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धतियों और औषधीय पादपों की ओर आकर्षित हो रही है। उन्होंने किसानों को प्रोत्साहित करते हुए कहा, आपको केवल परंपरागत खेती के साथ-साथ औषधीय पादपों की खेती भी करनी चाहिए, क्योंकि यह भविष्य में लाभकारी साबित हो सकता है।
इसके बाद, प्रशिक्षण के वैज्ञानिक सत्र की शुरुआत हुई, जिसमें विभिन्न विशेषज्ञों ने औषधीय पादपों पर अपने व्याख्यान प्रस्तुत किए। इस सत्र में पवन कुमार टॉक, डॉक्टर एम. एस. आचार्य (रिटायर्ड डीन), और पुरुषोत्तम स्वरूप नागर ने औषधीय पादपों की खेती, उनकी उपयोगिता और लाभ के बारे में विस्तार से बताया। विशेषज्ञों ने किसानों को यह समझाया कि किस प्रकार इन पादपों की खेती से अतिरिक्त आय प्राप्त की जा सकती है और यह पर्यावरण के लिए भी लाभकारी हो सकती है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में आयुर्वेद विभाग के कई महत्वपूर्ण अधिकारी उपस्थित थे। इनमें उपनिदेशक आयुर्वेद डॉक्टर वीरेंद्र कुमार सोहाया, सहायक निदेशक डॉ. अजय नागर, डॉक्टर नितेश यादव, डॉ. नरेंद्र मीणा, डॉक्टर हेमराज मीणा, डॉ. रमेश चंद्र मेहता, डॉ. दिव्या चौहान, रजनीश पारीक, ममता शर्मा, प्रिया यादव और सुशील खंडेलवाल शामिल थे। इन सभी ने किसानों को औषधीय पादपों के बारे में जानकारी दी और उनकी खेती को बढ़ावा देने के लिए मार्गदर्शन किया। कार्यक्रम के समापन पर बोर्ड के परियोजना अधिकारी डॉक्टर जगवंत सिंह बेनीवाल ने सभी किसानों और अतिथियों का आभार व्यक्त किया। उन्होंने इस प्रशिक्षण को किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताते हुए, यह आशा व्यक्त की कि इस कार्यक्रम से किसानों को औषधीय पादपों की खेती से संबंधित नए विचार और तकनीकी ज्ञान मिलेगा, जो उन्हें अपने कृषि व्यवसाय को और अधिक लाभकारी बनाने में मदद करेगा।
इस अवसर पर सभी किसानों ने प्रशिक्षण से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त की और यह निर्णय लिया कि वे इस ज्ञान को अपनी खेती में लागू करेंगे, ताकि वे औषधीय पादपों की खेती के जरिए अपनी आय को बढ़ा सकें।

जिले में औषधीय पादपों पर आधारित दो दिवसीय आवासीय प्रशिक्षण का शुभारंभ
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