सरसों प्रक्षेत्र दिवस का हुआ आयोजन

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बूंदी। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा हिंडोली क्षेत्र के गांव फालेण्डा में सरसों की फसल किस्म डी.आर.एम.आर. 2017-15 (राधिका) के कलस्टर प्रथम पंक्ति प्रदर्शन लगाये गये। प्रदर्शनों में सरसों की किस्म डी.आर.एम.आर. 2017-15 को एकीकृत फसल प्रबंधन विधि के द्वारा कृषकों के खेत पर होने वाली पैदावार के परिणामों एवं किसानों के स्वयं के अनुभवों को गांव के अन्य कृषकों को जानकारी देने के लिए सरसों प्रक्षेत्र दिवस का आयोजन शुक्रवार को किया गया। जिसमें गाँव के 55 प्रगतिशील कृषकों एवं कृषक महिलाओं ने भाग लिया।
वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष प्रो. हरीश वर्मा ने बताया कि एकीकृत फसल उत्पादन विधियों एवं समन्वित कीट रोग प्रबन्धन तकनीकों को अपनाकर कृषक सरसों की अधिकतम पैदावार लेते हुए अपनी आय को बढ़ा सकते हैं एवं उत्पादित सरसों को आगामी बुवाई के लिए बीज के रुप में रखकर काम में लिया जा सकता है एवं अन्य किसानों को बुवाई के लिए विक्रय भी किया जा सकता है। जिससे किसान इस किस्म का गांव के स्तर पर ही खरीदकर प्रयोग कर सकते है।
केन्द्र की उद्यान वैज्ञानिक एवं नोडल अधिकारी (प्रदर्शन) इंदिरा यादव ने किस्म की विशेषता के बारे में बताया कि यह फसल सिंचित क्षेत्रों में देर से बुवाई के लिए उपयुक्त किस्म है। पौधें की ऊँचाई 191-204 सेमी है। औसत बीज उत्पादन 18.0 क्ंिवटल एवं तेल की मात्रा 40.7 प्रतिशत होती है। 120-150 दिन में पककर तैयार होने वाली यह किस्म झुलसा, सफेद रोली, तना सड़न रोग एवं चेंपा (मोयला) के प्रति सहनशील है।
प्रक्षेत्र दिवस पर आये किसानों ने खेत पर भ्रमण करने के दौरान सरसों किस्म डी.आर.एम.आर. 2017-15 से अच्छे उत्पादन होने की संभावना व्यक्त की। प्रगतिशील कृषक चेतराम मीणा ने इस किस्म को अन्य किस्मों से अच्छा बताया। प्रक्षेत्र दिवस के दौरान आये हुये कृषकों को कृषि विश्वविद्यालय, कोटा द्वारा प्रकाशित कृषि पंचांग (कैलेण्डर) 2025 भी वितरित किये। प्रक्षेत्र दिवस में विजेन्द्र कुमार वर्मा एवं दुर्गा सिंह सोलंकी ने अपना सहयोग प्रदान किया।

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